अशोक स्तंभ क्या है?
भावना मिश्रा
अशोक चिन्ह भारत का राजकीय प्रतीक है। यह सारनाथ में मिली अशोक लाट से लिया गया।
अशोक स्तंभ एक बौद्ध मठ के निकट वैशाली और रामकुन्ड नामक एक राज्याभिषेक टैंक का सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है।
अशोक स्तंभ : सम्राट अशोक जो चंद्रगुप्त मौर्य के पौत्र और मौर्य काल के तीसरे सम्राट ने स्तंभ के चारो ओर सिंह गर्जना करते हुए सिंहों को बनवाया,जिसका अभिप्राय है -- दहाड़ते हुये ये शेर धर्म चक्र परिवर्तन के समान दृष्टिमान है।
"सत्यमेव जयते" भारत के राष्ट्रीय प्रतीक में चिन्हित है,और यह मूल रूप से "मूण्डकोपनिषद" से लिया गया।भारत का राष्ट्रीय चिन्ह या प्रतीक जो अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है।इसे 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
इसका प्रारूप सारनाथ में बने चक्र से लिया गया है।जिसमें व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है।इसमें 24 तीलिया है।भारत संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।
अशोक स्तंभ एक बौद्ध मठ के निकट वैशाली और रामकुन्ड नामक एक राज्याभिषेक टैंक के सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है।
विश्व का प्रथम गणराज्य वैशाली था। महान् सम्राट अशोक ने #अशोकस्तंभ का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि कलिंग विजय के बाद बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे और उन्होंने वैशाली में #अशोकस्तंभ बनवाया था।
चूँकि भगवान् बुद्ध ने वैशाली में अपना अंतिम उपदेश दिया था,उसी की याद में यह स्तंभ बनवाया गया था।यह अन्य स्तंभो से अलग है,और यह एक सिंह वाला स्तंभ है।इसमें सिंह का मुँह उत्तर दिशा हैं।स्तंभ के उत्तर में बौद्ध स्तूप भी है।
भगवान बुद्ध ने अपनी यात्रा उत्तर दिशा में किया,इसलिए सिंह के मुँह उत्तर दिशा में है और भगवान् बुद्ध को प्रथम बोधित्व यही पर प्राप्त हुई थी।
भगवान् महावीर का जन्म वैशाली गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। इस कारण भी इस स्थान का महत्व है। भगवान् महावीर के जन्म दिन पर यहाँ दीपोत्सव मनाया जाता है।
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