मेरा बचपन

प्रिन्सी साहू 

बचपन हर व्यक्ति के जीवन का मोज - मस्ती से भरपूर एक अहम हिस्सा होता है।

मेरा बचपन भी बहुत ही सुहावना रहा। बचपन में इतनी चंचलता और मिठास भरी होती है कि हर कोई फिर से बचपन को जीना चाहता है। बचपन में धीरे - धीरे चलना ,गिरना ,उठना , दोड़ना , हसना , रोना , जिद करना , खिलौनों से खेलना , टब में नहाना , बरसात में भीगना बहुत मस्ती होती है।

मा - पापा का प्यार करना , मा का प्यार से खाना खिलाना , मा की लोरिया सुनकर सुकुन भरी नींद जाती थी , दीदी का दुलार करना , पापा के साथ घूमने जाना , बहुत मस्ती करना बहुत अच्छा लगता था।

शरारत करने पर भी सभी बड़ों का दादा - दादी का प्यार करना अच्छा लगता था। थोड़ा बड़े होने पर स्कूल जाना , दोस्तो के साथ खेलना मजे आते थे।

खो - खो  , छुपन - छुपाई , लूडो , सांप - सीडी , तेज दौड़ लगाना बहुत सारे खेल खेलते थे। बचपन के वो सुनहरे दिन जब हम खेलते रहते थे तो पता ही नहीं चलता था कि कब दिन से रात हो जाती थी।

मा - पापा मुझे पढ़ाते थे और मेरे साथ खेलते थे। दीदी मेरे साथ खेलती थी और हम बहुत शेतानिया भी करते थे।

रोज रात को मा हमें अच्छी  - अच्छी कहानियां सुनाती थी। ऐसा था मेरा बचपन।

बचपन की मधुर यादे अभी भी मुझे बहुत याद आती है


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