कथनी करनी
डॉ. संगीता पाहुजा
न कथन का अर्थ रहा,
न करनी का विश्वास |
आया ऐसा समय, नही जानता कोई
कौनसी सांस है, आखिरी सांस |
अनिश्चित सा है, हर पल का आगाज
जी लो हर पल को, स्वर्ग सा मान
सराबोर हो जाओ, प्रेम, दया,
करुणा,आदर और सत्कार से |
मुक्त हो जाओ, हर कर्ज से इस तरह
गर सांस भी निकले,
तो तृप्त हो मन का हर कोना |
हर सांस में हरि सिमरन हो
रहो हर पल रुखसत होने को तैयार
निश्चित ही है होना भवसागर से पार |
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