वृक्ष की कहानी, वृक्ष की जुवानी
कान्हा साहू
मैं एक पेड़ हूँ | मैं बहुत बड़ा पेड़ हूँ , आज मैं अपने जीवन में खुश हूँ क्योंकि मैं लोगों को काफी लाभ पहुँचाता हूँ |
मैं लोगों को ऑक्सीजन प्रदान करता हूँ और खुद कार्बन डाइऑक्साइड गृहण करता हूँ फिर भी कभी-कभी लोग मेरे साथ छेड़छाड़ करते है |
मैं एक सड़क के किनारे पर रहता हूँ | लोग अक्सर मेरी छाएँ में लम्बे समय तक बैठे रहते हैं , लोग अक्सर गर्मियों के दिनो में जब लोग पसीना-पसीना हो जाते हैं, तब वे मेरी छाएँ में बैठकर उन्हें सुकून मिलता है और वे मेरा धन्यवाद भी करते हैं | ऐसा सुनकर मैं बहुत ही खुश होता हूँ |
लेकिन दूसरी ओर यह भी देखता हूँ कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो बिना वजह मेरी टहनियों और पत्तियों को तोड़ते रहते हैं | कुछ लोग अपने छोटे से लाभ के लिए मुझे नष्ट कर देते हैं |
मै आज बड़ा हो गया हूँ इसलिए जानवर या कोई भी मनुष्य मुझे आसानी से हानी नहीं पहुँचा सकता |
आज लोग मुझे रोड के किनारे देखकर मेरी तरीफ करते हैं और आनंदित होते हैं |
कविता
आओ साथी वृक्ष लगाएँ ,
सूखी धरती हरी बनाएँ |
वृक्ष हमारे जीवन दाता ,
यही हमारे भाग्य विधाता |
वृक्षों से वर्षा आती है ,
वृक्षों पर बदली छाती है |
उजड़े उपवन पुनः सजाएँ ,
आओ साथी वृक्ष लगाएँ ||1||
वृक्षों ने पशुओं को पाला ,
वृक्षों ने ईंधन दे डाला |
औषध का भंडार वृक्ष है ,
ममता का आगार वृक्ष है |
बीच- बीच में फूल उगाएँ ,
आओ साथी वृक्ष लगाएँ ||2|
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