मन की भावना
भावना मिश्रा
आओ चलो अपनो से मुलाकात करें,
कुछ आप कुछ हम मन की बात करे।
दूर कभी ना जाएँगे,अपनो से कभी,
सब मिलकर एक नई शुरुआत करे।
एक छोटा सा आशियाना बनाये हम
सब से प्यार,परवाह भावना बनाये हम।
बहुत हुई लड़ाई अब,सब भूलकर,
आज खुशियों की महल बनाये हम।
जिन्दगी में खुशी और ग़म दोनो है,
चलो गम को भूलकर खुशियाँ मनाते है।
जिसे हम बचा सकते है,उसके लिए,
सब से हँस हँस कर बाते करते है।
—00—