रंग बिरंगी होली आई
उर्मिला द्विवेदी
होली प्रकृति में आये बदलाव की खुशियां मनाने, विभिन्न प्रकार की खाने की चीजों को बनाने, खाने और खिलाने का सार्वजनिक उत्सव है। होली के स्वागत में चंद पंक्तियां।
बीता शिशिर आया बसंत
फूले टेसू केसर जयंत
पेड़ों पर छायी बौराई
कोंपल नयी नवेली आई ।
ठंडक बीती गरमी आई
बासंती खुशियां भी लाई
होली आई होली आई
रंग बिरंगी होली आई ।
मस्त हवा में खुशबू छाई
बच्चों के मन को हरषाई
रंग और पिचकारी आई
मस्ती के दिन फिर से लाई ।
सरसों फूली पीली पीली
मटर जामुनी नीली नीली
गेंहूं पककर झूम रहा है
चना खेत में मटक रहा है ।
गेंदा गुड़हल अमलतास
फूले अर्जुन चंपा पलास
अभिनंदन तेरा नव विहान
स्वागत में तेरे है जहान ।
लगी चहकने कोयल फिर से
भंवरे गुंजन करते फिर से
तितली उड़तीं रह रह कर
गाये पपीहा रात रात भर ।
पूरनपोली गुझिया मठरी
घेवर कुल्फी चाट पापड़ी
होली में ठंडाई जरूरी
मालपुआ और गरम कचौड़ी ।
पकवानों का यह त्यौहार
राग रंग का यह त्यौहार
मस्ती का है यह त्यौहार
प्रेमभाव का यह त्यौहार ।
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