लिंकन ने लिखा एक दिन

उर्मिला द्विवेदी

(अब्राहम लिंकन 1861 से 1865 तक अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति रहे हैं। उन्होंने अपने बेटे के टीचर को एक पत्र लिखा कि उसको कैसे और क्या-क्या पढ़ाएं, इसी बात को कहती हैं ये पंक्तियाँ)

 

लिंकन  ने          लिखा  एक     दिन  

अपने    बेटे       के     टीचर       को 

पढ़ाएं   वह  सब  इसे  हर दिन

बताते हैं  जो  कुछ  हम आपको

 

बुरे-भी अच्छा दिल रख सकते हैं

बात    उसको      यह     बतानी  है

जग   में सब अच्छे   होते   नहीं  हैं

याद  उसे रखनी  यह जुबानी है

 

स्वार्थी  भी    है   रख  सकता

समझने     की      अच्छी     क्षमता

यह     बात    उसे   सिखानी     है

सलीके      से         बतानी         है 

 

दुश्मन बन   जाये  दोस्त अच्छा

नामुमकिन  यह   भी   नहीं     होता

सिखाना  समझाना  सब  अच्छा

ईर्ष्या किसी  से अच्छा नहीं होता

 

सीखने   में   समय   लगेगा उसको

बताना  घबराये  नहीं  वह  प्यारा

सिखाना है   रोजाना          उसको

जो  कुछ     आपके  पास  है  सारा 

 

कमाना   रुपया  मेहनत  का   एक

होता मुफ्त  के  पांच  से  है अच्छा

बताना उसको समझाकर किसीको

डराना बेवजह अच्छा नहीं होता

 

 

खुलकर     हंसना   हँसाना  चाहिए

इससे घटती   नहीं    है   शालीनता

खुश मन को रखना हमेशा चाहिए

इससे  होती नहीं है कम सभ्यता 

 

अच्छा होता  है खूब  किताबें  पढ़ना

उड़ते परिंदे गगन में देखते रहना

रंगीन तितलियों का उड़कर आना

लहलहाते खेत में फिर बैठ जाना

 

नकलकर     पास    होने  से   कहीं

होता   है  अच्छा  फेल  हो जाना 

सिखाना उसको  सच्ची  बात परही

होता  है     अच्छा  कायम  रहना  

 

दयालु  के   संग हमेशा नम्र रहना

बुरे  के    साथ    सख्ती  जरूरी है

कैसे उदासी को  खुशी में बदलना 

बताना    उसको   बहुत  जरूरी है

 

खुद  पर   विश्वास  करना   अब

आपको   उसको      सिखाना  है

जब  मन   करे   रोने   का    तब

शर्माना   नहीं    ऐसा  बताना  है 

 

बेटा   है     छोटा   पर  सिखाना

आपको  उसको  बहुत    कुछ है

मान   अपने   टीचर का  रखना

उसे जीवन-भर याद  रखना है

 


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