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संपादकीय

             इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना

ज्ञान विज्ञान सरिता -पत्रिका के छठवें वर्ष का प्रथम अंक पाठकों को समर्पित करते हुये, हमें अत्यंत खुशी हो रही है।

आज से पांच साल पहले, जिस प्रयास का बीज डॉ0 जोशी के संरक्षण में रोपा गया था, वह अब पनपकर बढ़ने लगा है। इसके फूलों ने अपनी खुशबू से दूर-दराज के इलाकों को भी महकाना शुरू कर दिया है।

2 अक्टूबर 2016 को जब ज्ञानविज्ञानसरिता -पत्रिका का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ, तब इसमें केवल 39 पृष्ठ थे, लेखकों की संख्या 9 थी-      प्रो0 पूर्णिमा एल पवार, सुनीता भसीन, अशोक राव, आरती शर्मा, सन्ध्या तंवर, कुमुद बाला, फड़ींद्र, डॉ0 जोशी और हम।

प्रथम अंक की ग्राफिक्स डिजाइनर थीं - देविका माथुर। यह संस्करण पूर्णतया भौतिकी (Physics), रसायन (Chemistry) और गणित (Mathematics) विषयों से संबंधित लेखों  क्विजों तक ही सीमित था।

समय बीतता गया, लेखकों का सहयोग मिलता गया, हिम्मत बढ़ती गयी और हम सब साथ-साथ मिलकर लगातार चलते रहे।

आज हमें यह कहते हुये अत्यंत गर्व महसूस होता है कि वर्तमान में ज्ञानविज्ञानसरिता परिवार के मेहमान लेखकों की संख्या 75 से ऊपर है।

Editorialस्कूली बच्चों के ड्राइंग, छोटे-छोटे लेख, कविताओं आदि के योगदान ने इस पत्रिका को बहुत ही रोचक बना दिया है। बच्चों के लिखने कला बनाने की रूचियों ने जहां उनमें अपने अंदर की छिपी प्रतिभा को निखारने का अवसर दिया है, वहीं बड़ों को भी उनके प्रयास से खुश होने का अवसर प्रदान किया है।

हाल के अगस्त महीने का संस्करण 76 लेखकों के सहयोग से 101 पृष्ठों तक पहुंच गया था। 

जब हम पीछे मुड़कर पहले अंक के पृष्ठ 39 पर छात्रों विक्रम पुजारी कक्षा 11 और रोहित कक्षा 12 के विचार इन ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में पढ़ते हैं, तब शुरूआती दिन बरबस  याद जाते हैं-

…In these classes Shri Shailendra Parolkar, from Texas, US, guides us in Physics; Madam Kumud Bala guides us from Sec 128 Noida in Chemistry; Prof. Dhar a renowned teacher of Maths guides us in Mathematics; and Dr Subhash Joshi guides us from Sec. 78, Noida in Mathematics and Physics……this gives us have a competitive advantage during learning, questions and answers…..

छात्र ओमवर्मा कक्षा 11, झबुआ, मध्यप्रदेश  ने लिखा था-

……I found that with the use of internet Online Class gives an advantage to raise question to the teacher and get doubts cleared then and there itself….

छात्र भावांश बलेजा, माउंट आबू स्कूल रोहिणी, दिल्ली कक्षा 9 के भाव थे-

…I have been taking these Online classes for about last 2 months. Though these classes focus unprivileged children, which I am certainly not, I have benefit to attend it because of my parents involvement in the initiative….

प्रथम अंक के अंतिम पृष्ठ पर छपी पैरोडीसाइंस बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई  …”    बच्चों में खूब प्रचलित हुयी थी।

आज अपने प्रकाशन के छठवें वर्ष में प्रवेश करते समय ज्ञान विज्ञान सरिता परिवार की  -बुलेटिन की चाह हैः

इतनी शक्ति हमें देना दाता,  मन का विश्वास कमजोर हो ना   हम चले नेक रस्ते पे,   हम से भूलकर भी कोई  भूल हो ना  ।।                                                                                                  

वर्तमान की ज्ञान विज्ञान सरिता: शिक्षा , -पत्रिका भौतिकी, रसायन, गणित आदि गंभीर विषयों को साथ रखते हुये सामाजिक शिष्टाचार और स्वास्थ्य सम्बन्धी सामग्रियों बाल- कला एवं उनकी सृजनात्मकता के समावेश से एक बहुमुखी मासिक पत्रिका बन गयी है। यह हर आयु वर्ग के लिये ज्ञानवर्धक हो गयी है।

अब्राहम लिंकन अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति रहे हैं। उनका मानना था कि भविष्य के बारे में अंदाजा लगाने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि हम उसे बनाने में लग जायें।

इक्कीसवीं शताब्दी का भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर है। यदि गिलहरी के सहयोग से रामसेतु का निर्माण हो सकता है, तब हम सबका मिलकर राष्ट्र के गौरव को बढ़ाने के लिये किया गया प्रयास अवश्य रंग लायेगा। 

बृजनारायण चकबस्त ने सही कहा हैः         

कमाले बुजदिली है, पस्त होना अपनी आंखों में 

अगर थोड़ी सी हिम्मत हो तो क्या हो कता नहीं।

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