नयी शिक्षा  व्यवस्था  और परिणाम

सौ.जयमाला विजय बुलकुंडे

साल 2020 के प्रारम्भ तक सब कुछ हमेशा  की तरह सर्व-साधारण प्रकार से चल रहा था । बच्चों का शिक्षण-पाठन पाठशाला में  निर्बाध था। पर एक नये  कोरोना वायरस के प्रकोप ने  सब की जिंदगी बदल दी ।

इस वायरस से जो रोग मनुष्यों  को होता उसे कोविड-19 यह नाम दिया गया । कोविड-19 इतनी तेजी से एक इंसान से दुसरे इंसान तक जाता की धीरे-धीरे पूरी  दुनिया ही इसकी कारण रूक सी गयी थी ।  हर किसी के काम बंद हो गये । यह रोग और ज्यादा ना फैले इसिलिए सरकार ने देश  मे लॉकडाउन का आदेष जारी किया । लॉकडाउन के तहत स्कुल, दुकाने, सरकारी एवं निजी कार्यालय, यातायात और बाकी सभी तरह के काम बंद हो गए । सब लोग घर मे ही कैद होकर रह गए । इस परिस्थिती मे जिन्हे सबसे ज्यादा तकलीफ हुई वे है छोटे बच्चे ।

सभी जगह अब ताला लग जाने के कारण अब माता-पिता तो काम के लिए बाहर जा नही सकते थे । लेकीन कुठ कार्यालयीन काम ऐसे भी थे जो घर बैठे मोबाईल या लॅपटॉप की सहायता से ऑनलाईन किए जा सकते थे । इसलिए अधिकतर काम ऑनलाईन शुरू हो गये । अब यह तो बात हुई बडो की, पर बच्चो की षिक्षा का क्या? इसका भी उपाय आखिर ढुंढ लिया गया और नया शिक्षा प्रणाली पद्धति की शुरुवात हुई 

जो बात कभी सोची भी नही गई वह बात आज अस्तित्व  मे आ गई । बच्चे घर पर बैठकर मोबाईल से अपनी शिक्षा प्राप्त करने लगे । इस मोबाईल के कारण और ऑनलाईन  शिक्षण प्रणाली के कारण बच्चो, शिक्षको और माता-पिता पर भी बहुत परिणाम हुए । इस नयी पद्धति से कुछ फायदे हुए और कुछ नुकसान भी ।

बच्चो की पढाई घर पर ही होने के कारण बच्चो का स्कुल जाने और आने का समय बचा साथ उनकी उर्जा की भी बचत हुई । पर जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते है, वैसे ही इस बात भी दुसरा पहलू भी अवष्य ही है । बच्चो की उर्जा घर पर रहने से बची जरूर परंतु वह उर्जा बच्चे मोबाईल पर गेम और अन्य अवांछित  कार्यो मे करने लगे । ऑनलाईन शिक्षण के कारण किताबो के साथ साथ बच्चो को इंटरनेट से और अधिक ज्ञान और जानकारीयॉं प्राप्त जरूर होती हैं  परंतु यह केवल मोबाईल से शुरू  होती हैं  होकर मोबाईल पर ही खत्म होती हैं और इसका विपरीत परिणाम बच्चो के मानसिक विकास पर होता बच्चो कि दृष्टी  और बौदिधक क्षमता मोबाईल के कारण कम होने लगी ।

ऑनलाईन शिक्षण की शुरूवात वैसे हुई तो 2019 मे, परंतु आज 2021 मे भी यह सिलसिला खत्म नही हुआ है । अब एक साल से  अधिक समय बीत चुका है इस ऑनलाईन शिक्षा प्रणाली को आप हुए,  परन्तु  सबकी हालत आज भी वही मोबाईल, मोबाईल, मोबाईल । सभी बच्चे अब असल जिंदगी को छोडकर मोबाईल मे ही जिंदगी बना रहे  है ।  सबकुछ अब ऑनलाईन होने से बच्चो और घर के सारे सदस्यो को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं  रहती, जिससे सभी परीवारजनो को एक-साथ समय बिताने के लिए काफी मौका  मिल रहा है । परंतु हमेशा  घर पर बैठकर अब क्या करे,?  यह सोचकर सब लोग मोबाईल और टि.वी. की दुनिया मे अटक गये है । बच्चे भी अपनी शिक्षा और बचपना भुलते जा रहे है । आजकल तो इस मोबाईल की वजह से घरो मे झगडे भी होने लगे है ।

माता-पिता अपनी समस्या व्यक्त करते है कि बच्चे मोबाईल नही छोडते और बच्चे कहते है कि, पढाई ही मोबाईल पर चलती है, तो हम क्या करे ?

वैसे अगर ध्यान से देखा जाए जो ऑनलाईन पढाई होने के चलते बच्चो को कई लाभ भी मिले है । जैसे कि कुछ बच्चो ने ऑनलाईन पढाई के साथ साथ अन्य भाषाएँ  और कोर्सेस पर ऑनलाईन ही काम करके अपनी आय की शुरुवात  की है । जब पढाई ऑफलाईन होती थी  तब बच्चे बहुत समय तक खेल  नही पाते थे, पर अब बच्चे आराम से अधिक समय तक खेल भी  सकते है । पर यह सब बच्चो मे फायदे हमें  सकारात्मक तरीके से समझने चाहिए  तभी यह सब और आसान हो सकेगा 

फिलहाल देखा जाए तो बच्चे खेलते तो है, मगर उससे ज्यादा मोबाईल चलाते है । कई बच्चो को तो मोबाईल की लत लग चुकी है । इस ऑनलाईन के चक्कर मे बच्चे कई तरह की बिमारियों से भी ग्रस्त हो रहे है । अब कई अलग-अलग दृष्टिकोण  है ऑनलाईन पढाई और मोबाईल को देखने के । अब हम अच्छे या बुरे का विचार करने मे वक्त बर्बाद नही कर सकते, हमे अपना दृष्टिकोण ही बदलना पडेगा । अगर हम ऑनलाईन शिक्षा को सकारात्मक समझेंगे तो हमारे लिए नुकसान कम-से-कम होंगे । परंतु हाँ संयम बरतना होगा कि हम  की मोबाईल को अपनी जिंदगी न बनने दें 

यह ऑनलाईन पढाई और कितने दिन चलेंगी ? एक दिन जो ऐसा जरूर आयेगा जब स्कुल खुल जाऐंगी और बच्चे फिर से शैतानी  करते हुये स्कुलो में जायेंगे । इस ऑनलाईन शिक्षण के कारण सच मे मजा ही नही रहा पढने मे ! यही हाल  हम  शिक्षको का भी है, हमें  भी इंतजार है बच्चो का, जो हमारी जिंदगी के अभिन्न अंग बन गए हैं 

 

 

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