लेखक-लेखनी
डॉ. संगीता पाहुजा
लेखक -रचयिता, साहित्यकार
आदि नामो से जाना जाता
बनी रहे गरिमा, इस संबोधन की
रखिये सदा ध्यान,|
गरिमा न हो भंग कभी
स्व रचित ही हो हर रचना
अपने ही भाव, पन्नों पर रचना
ऐसा ही इतिहास रचना |
प्रत्येक लेखक की भावनाओं का
संगम होती है उसकी प्रत्येक रचना
जब भी लेखनी उठाओ
हृदय उदगारो की स्याही भरना
सदा स्वरचित रचना ही रचना |
ऐसा ही इतिहास रचना |
—00—