परमात्मा स्वरूप

 

कहते है कि जिंदगी के बहुत से दुःख माँशब्द के उपयोग मात्र से दूर हो जाते है। इस शब्द के उच्चारण से आंतरिक ऊर्जा बढ़ जाती है और एक नई शक्ति मिलती है। ऐसा अकसर सुनने को मिलता है की भगवान हर जगह नहीं हो सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। माँ का आशीर्वाद किसी वरदान से कम नहीं होता और जिसके साथ यह वरदान होता है वह जीवन को उच्च तरीके से जीता है। एक छोटा बच्चा खेलते हुए कभी-कभी खुद को इतना गंदा बना लेता है कि कोई उस बच्चे को पकड़ने को तैयार नहीं होता। लेकिन माँ उसी बच्चे को साफ़ सुथरा कर ऐसा सुन्दर बना देती है कि हर कोई उस बच्चे को चूमना चाहता है, उसके साथ खेलना चाहता है। माँ बच्चों को किसी भी दुःख से दूर रखने के लिए हर सम्भव प्रयास करती है।  

किसी कारणवश माँ से दूर रहने पर, कवि ने परमात्मा को सम्बोधित करते हुए क्या खूब कहा है:

शब्दावली में वह शब्द दे दे, जिससे सिफत कर लूँ तेरी, या तो माँ के दर्शन करा दे, या तू जान ले ले मेरी

ज़िन्दगी अजब गज़ब मोड़ लेती है और किसको कब कैसा खेल दिखा दे, इसके बारे में कोई कुछ कह नहीं सकता। ऐसे ही कभी-कभार बच्चों को माँ बाप से दूर जाना पड़ता है जैसे की पढ़ाई, खेलो की प्रतियोगिता, नौकरी अथवा किसी और कारण से। तब बच्चों को रह-रह कर माँ बाप की बहुत याद आती है। दिल की आवाज़ ऐसी होती है - माँ तेरी बाँह पर सर रखकर सोने का मन करता है, पापा तेरे कंधे पर बैठ गाने का मन करता है। आज कल तो फ़ोन और वीडियो कॉल्स ने दूरियों को बहुत कम कर दिया है परन्तु सारा दिन तो फ़ोन पर भी नहीं रह सकते। चाहे अनचाहे कुछ न कुछ करते, याद घेर ही लेती है, उधर माँ बाप का भी यही हाल रहता है। बच्चों की भावनाओं का उल्लेख कुछ ऐसे किया गया है:-

बच्चों को माँ की बहुत याद आती है।

 

ऐसा अकसर देखा है बहुत से धारावाहिक में, बच्चे रोते है ओर माँ आ जाती है।

 

मुझे भी माँ की याद बहुत सताती है, लेकिन मेरी माँ धारावाहिक की तरह क्यों मिलने नहीं आती है।

 

क्यों माँ की याद बहुत सताती है, फिर रुलाती है, और एक तड़प सी दे जाती है।

 

देखकर दूजे बच्चों को खुश उनकी माँ के साथ, खुद की किस्मत को दोष देता हूँ।

 

सोचकर कि अपनी माँ के साथ होऊँगा एक दिन, खुश हो लेता हूँ।

 

कब आएगा वह दिन, वह पल, एक लंबी उमर निकलती जाती है।

 

बहुत अकेला हूँ माँ तेरे बिन, रो नहीं पाता हूँ, सो नहीं पाता हूँ।

 

कब और क्यों जुदा हुआ तेरे से, उस समय के लिए एक दुहाई सी रह जाती है।

 

माँ तेरी याद क्यों आती है, तड़प सी दे जाती है।

 

मिल जा मुझे किसी दिन समय निकाल कर,  तुझसे मिलकर रोने का मन करता है।

 

मुझसे भगवान भी रूठा है, कहता है तुझसे तो तेरी माँ भी मिलने नहीं आती है।

 

पर तुझसे और तुझसे ही दुआ करता हूँ,  मिलने आजा किसी दिन माँ,  

 

मुझे तेरी बड़ी याद आती है.. तेरी बड़ी याद आती है।

 

 

ऐसे ज़िन्दगी के क्षणों के बाद, जब माँ-बाप का बच्चों से मिलन होता है तो एक दूजे के बिन बीते पल याद बन जाते है। उन बीते पलो को याद करना भी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है। परमात्मा के आशीर्वाद से सब बच्चों पर माँ बाप की छाया बनी रहे और सब मिलकर ज़िन्दगी का आनंद माने।

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