जिसने हिम्मत नहीं है हारी
उर्मिला द्विवेदी
(नववर्ष के आगमन पर कुछ पंक्तियां। नया साल हमारे उद्देश्य को पूरा करे , गत वर्ष का अधूरा रहा कार्य भी पूरा हो और हम कल्याणकारी कार्यों में लगे रहें)
नया साल है, नई है मंज़िल
नई चाह है, राह न बोझिल
नए साल में, चाह हमारी
सबकी हों इच्छायें पूरी
चलना बहुत देर तक होगा
थमना मंजिल पर ही होगा
चलने में गर आलस होगा
रस्ता यह आसान न होगा
बाधाओं को पार है करना
कठिनाई से नहीं है डरना
मंज़िल साफ न तब दीखेगी
ख्यालों में उल्लास न होगी
जिसने हिम्मत नहीं है हारी
उसको मंज़िल भाती प्यारी
डर को जिसने जीत लिया है
वही विजय की ओर बढ़ा है
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