बुद्धि  - विवेक

राजकुमार सक्सेना 

बुद्धि सभी प्राणियों में होती है | परन्तु प्रकृति ने मनुष्य को सबसे अधिक बुद्धि के विवेक भी दिया है | मनुष्य विवेक का उपयोग कर सही या गलत का निर्णय कर सकता है | पशु पक्षी जैसे तोता ,कुत्ता ,हाथी ,बंदर को प्रशिक्षित कर सिखाया जा सकता है ,जैसे सर्कस में होता है | विवेक वाला व्यक्ति बुद्धि हीन नहीं हो सकता | सफलता के लिए बुद्धि और विवेक दोनों का सामंजस्य होना आवश्यक है | छात्रों के स्कूल परीक्षा में छात्र की बुद्धि  की परीक्षा होती है ,ज्ञान की परीक्षा होती है | बुद्धि समझने की शक्ति है कि कितने कम समय में विषय को समझ सकते हैं और उसे रिकॉल कर परीक्षा में लिख सकते हैं |

जब शिक्षक कक्षा में 40  छात्रों को पढ़ाता है तो वह छात्र जिसका IQ  अधिक है शीघ्र समझ लेता है  और   इसका अन्य जगह apply  अपने विवेक से  भी कर लेता है परन्तु कुछ छात्र देर से समझते हैं या फिर रट लेते हैं |परीक्षा में दोनों तरह की विद्यार्थी उत्तीर्ण हो जाते हैं , केवल अंकों का प्रतिशत कम अधिक होता है |

विवेक अपने जीवन और दूसरे की जीवन को उपयोगी बनाने में सहायता करता है | विवेक से नए ज्ञान का निर्माण होता है |विवेक में मनन चिंतन ( thinking  ) का अधिक महत्व है |कम पढ़े लिखे व्यक्ति में विवेक हो सकता है परन्तु ज्ञान कम होता है | जब हम कोई नया काम शुरू करते हैं तो शुरू में कई कठिनाई आती हैं परन्तु विवेक का उपयोग कर कठिनाई को दूर कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं | जीवन में challenge  लेने से नई नई चीजें सीखने को मिलती हैं ,जिससे विवेक में वृध्दि होती है ,ज्ञान बढ़ता है | विवेक आत्म विश्वास में वृद्धि करता है ,स्वयं की कमी को दूर किया जा सकता है | बुद्धि सभी  के  पास होती है मात्रा कम अधिक हो सकती है परन्तु सभी के   पास विवेक होना आवश्यक नहीं है | विवेक एक अदृश्य शक्ति ( unvisible एनर्जी )  है ,बुद्धि का  कार्य analysis  करना है ,बुद्धि तर्क करती है  तथा कभी कभी भ्रमित ( confuse ) हो जाती है , परन्तु विवेक उसे सही मार्ग दिखता है | ज्ञान को ग्रहण करना उसे ठीक ढंग से समझना बुद्धि है , परन्तु योग्य अयोग्य का निर्णय विवेक करता है | जांचना ,परखना स्वीकार करना विवेक का कार्य  है | 

(1 ) A Q ( Adversing  Quotient ) :  बच्चों को  केवल पढ़ाना ,लिखाना ही पर्याप्त नहीं है | इससे उनका IQ  तथा EQ  बढ़ सकता है   परन्तु वास्तविक जीवन में जो कठिनाई आती है उसे कैसे हल ( solve ) करें यह समझ नहीं आती है |इसे समझने के लिए A Q चाहिए | IQ  की तुलना में A Q  अधिक महत्वपूर्ण है | A Q से विश्वास और सकारात्मक ( पॉजिटिव ) दृष्टिकोण आता है | इसलिए जिन बच्चों को बचपने से बहुत अधिक सुख सुविधाएँ मिली हैं वे जीवन के संघर्ष में सफल नहीं हो पाते | जीवन में कठिनाई आने पर निराश या डिप्रेशन में चले  जाते हैं | बचपन में बच्चों को खेल खेल में खेलते समय कठिनाई आने पर उनकी कोई सहायता नहीं करें उन्हें जूझने दें |

(२) EQ ( इमोशनल quotient ) : यह मनुष्य की भावनाओं से जुड़ा है |EQ हमारे आपसी सम्बन्धो को बनाने में सहायता करता है | एक सफल व्यक्ति में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | IQ  लेवल पर निर्णय सही हो सकता है परन्तु  E  Q  लेवल पर भी सही हो आवशयक नहीं है | जीवन में लगभग 80 % सफलता E Q से मिलती है | E Q  स्वयं की और दूसरों की भावनाओं को समझने व् मैनेज करने की कला( आर्ट ) है | अधिक E Q  वाले व्यक्ति environment   के साथ शीघ्र एडजस्ट हो सकते हैं | नेगेटिव इमोशंस को कम करना , कठिन निर्णय लेने में E Q उपयोगी सिद्ध हो सकता है |

E Q  का महत्व जीवन की प्रत्येक क्षेत्र में है |यदि हम किसी कंपनी के उच्च्च अधिकारी हैं तो हमारा सम्बन्ध हमारे अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक होना चाहिए | अच्छे काम के लिए appreciation करना भी आवश्यक है जिससे कर्मचारियों में पॉजिटिव इमोशन लाने में सहायक है जिससे कर्मचारी अधिक उत्साह से कार्य कर सके | यदि हम किसी की प्रशंसा नहीं कर सकते तो criticize  भी नहीं करें | यही बात छात्रों के लिए भी सही है |

माता पिता का बच्चों को बार बार डांटना या तो उन्हें उद्दंड बना सकता है या दब्बू | यदि हम बच्चों की गलतियों पर चुप रहते हैं तो बच्चे बार बार गलती करतें हैं और उद्दंड बन जाते हैं और वे दूसरों का सम्मान नहीं करते हैं | बच्चे जहाँ गलती करते हैं वहां उन्हें समझाइये की क्या गलत और क्या सही है ? बच्चों को अच्छी वैल्यू सिखाएं ,उनके अच्छे कार्यों की प्रशंसा करें जिससे बच्चे अच्छे कार्य को प्रसन्नता पूर्वक कर सकें | बच्चों को  माता-पिता बड़ों का सम्मान करना सिखाएं और माता पिता स्वयं भी करें | बच्चे अपने माता पिता का अनुसरण करते हैं | कोई  उपदेश तभी सार्थक होगा जब हम स्वयं अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श प्रस्तुत कर सकें | बच्चों को माता पिता उचित समय दें जिससे वे उनके साथ भावनात्मक सम्बन्ध बना सकें | आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में जहाँ माता पिता दोनों  जॉब करते हैं वहां बच्चे यदि नौकरों के भरोसे पर पलते हैं वे माता पिता से धीरे धीरे दूर होते जाते हैं तथा अपने मित्रों की सलाह लेने से गलत मार्ग पर भी जा सकते हैं | जिन घरों में माता पिता दोनों जॉब करते हैं और यदि घर में दादा , दादी  या नाना नानी रहतें हैं तो बचपन से ही बच्चों को  अच्छे संस्कार मिलने  लगते हैं और वे अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ  शेयर करते हैं ,जिससे उनकी समस्या हल हो जाती है |

E Q  बढ़ाने के लिए सेल्फ awareness बढ़ाना आवश्यक है | अपने frustration  को चैलेंज में बदल कर आगे बढ़ा जा सकता है |कलाकार अपने संघर्षों को अपनी कला ( आर्ट) में डाल देते हैं | बच्चे आजकल भावनात्मक निर्णय लेते हैं तथा जीवन में या परीक्षा में असफल होने पर आत्म हत्या कर लेते हैं | माता पिता भी बच्चों पर अनावश्यक प्रेशर डालते हैं ,परीक्षा में अच्छे अंकों या कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए | बच्चे परीक्षा के समय अधिक दबाब में आ जाते हैं ,जिससे वे असलफता के डर से डिप्रेशन में चले जातें हैं | कुछ माता पिता अपने बच्चों को वह बनाना चाहते हैं जो वे अपने जीवन में नहीं बन पाए | उदाहरण के लिए बच्चे की इच्छा कॉमर्स लेने की है क्योंकि वह मैथ्स या बायोलॉजी साइंस में कमजोर है परन्तु माता पिता उसे मैथ्स या बायोलॉजी साइंस लेकर पढ़ने के लिए दबाब बनाते है | माता पिता के दबाब वश बच्चा साइंस ले लेता है या वह अनुतीर्ण  ( फ़ैल ) हो जाता है या तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होता है | बच्चे की क्षमता अनुसार और उसकी रूचि अनुसार विषय का चयन कराएं |

(3) IQ ( Intelligence Quotient ):  एक ही माता पिता की संताने भिन्न भिन्न  I Q की हो सकती हैं |  संतान में IQ  , गॉड गिफ्ट है | I Q  का सम्बन्ध जेनेटिक से है | माता पिता पढ़े लिखे नहीं है श्रमिक हैं परन्तु उनके बच्चे डॉक्टर ,इंजीनियर ,कलेक्टर बन जाते हैं | सभी बच्चे IIT इंजीनियर , डॉक्टर ,कलेक्टर नहीं बन सकते कुछ श्रमिक भी बनते हैं |  कभी कभी संतानों में जेनेटिक डिसऑर्डर भी पाया जाता है | माता पिता को अपनी संतानों में आपस में तुलना ( compare ) करना या दूसरे के बच्चे से तुलना करना बच्चे में हीन भावना ला सकता है |

I Q हमें परीक्षा में अच्छे अंक ( मार्क्स ) दिला सकती है परन्तु IQ तथा EQ  का सही संतुलन ( बैलेंस ) जीवन में सफलता प्रदान करता है |जीवन में 20 % सफलता IQ  के कारण मिलती है | IQ से academic  इंटेलिजेंस का पता चलता है | अधिक IQ वाले सफल माने जाते हैं | एक अच्छी IQ  वाला व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है परन्तु ऊंचाई तक पहुंचने के लिए EQ  की समझ होनी चाहिए |   

मनुष्य की बुद्धिमत्ता को IQ  से तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता को EQ  से नापा जाता हैं | 

( 4 ) EI  ( इमोशनल इंटेलिजेंस  Emotional  Intelligence ) :  जीवन में सफल होने के लिए EI  का होना अति आवश्यक है , इसे EQ से नापा जाता है | किसी व्यक्ति की भावनाओं को समझने , पहचानने व् उनके प्रबंधन को EI कहते हैं | सभी मनुष्य में डर,दुःख ,क्रोध ,प्रसन्नता ,आश्चर्य ,उल्लास आदि भावनाएं मुख्य रूप से होती हैं |  IQ  लेवल निश्चित होता है लेकिन EI में कुछ प्रयास कर कुशलता प्राप्त की जा सकती है |EI में वृद्धि कर भविष्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है , इसे अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है | EI से मानसिक स्वास्थ,सफलता ,आपसी सम्बन्ध में सुधार ,वित्तीय स्थिति में सुधार ,अच्छे संवाद किये जा सकते हैं |

बच्चों में इन सभी को क्रिएटिव वर्क , योग , मैडिटेशन अच्छे साहित्य पढ़ कर , खेल कूद , एक्सरसाइज द्वारा बढ़ाया जा सकता है |

जब शिक्षक कक्षा में पढ़ाते हैं तो बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे उनकी  विषय  सम्बन्धी  कठिनाई दूर हो सके | कुछ कमजोर बच्चे प्रश्न पूछने में हिचकते हैं की अन्य छात्र मजाक उड़ाएंगे | योग्य शिक्षक वह है जो छात्रों की पढाई सम्बन्धी प्रश्नों को हल करने में इन चार चीजों पर ध्यान  दे | सहमति ( consent ) ,सहानुभूति ( sympathy ) ,सहयोग ( help ) तथा सलाह ( एडवाइस ) |

रावण एक प्रकांड पंडित ,वेदों का ज्ञाता , विद्वान,था परन्तु उसने क्रोध और अभिमान के वशीभूत होकर माता सीता का अपहरण किया,  स्वयं  तथा पुरे वंश के विनाश का कारण बना क्योंकि उसका विवेक घमंड और क्रोध से समाप्त हो गया था | बच्चे कभी कभी अपने माता पिता को इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं | कभी कभी हम किसी भिखारी को देखकर बिना सत्यता की जाँच किये उसकी सहायता भावना वश कर देतें हैं | अतः भावनाओं पर नियंत्रण होना आवश्यक है |

(5 ) OR ( orgasm  Quotient ) : माता पिता को लड़के और लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए | दोनों को जीवन में समान अवसर और सुविधाएँ देनी चाहिए जिससे लड़की में हीन भावना नहीं आये | माता पिता बार बार लड़की को यह आभास दिलाते हैं की वह लड़की है | भावनात्मक रूप व् शारीरिक क्षमता में प्रकृति ने अंतर् अवश्य किया है | लड़की माता पिता से अधिक attach होती है , लड़कों की अपेक्षा | प्रकृति ने महिलाओं में एक अलग शक्ति प्रदान की है  वह है सामंजस्य स्थापित करना जो प्रकृति द्वारा प्रदत्त हार्मोन से नियंत्रित होता है | 

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