बसंत पंचमी

 डॉ संगीता पाहुजा

 

बसंत पंचमी का यह दिन मां सरस्वती की पूजा से जाना जाता।

माघ माह की ,शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को,

बसंत पंचमी के त्योहार का प्रावधान हुआ।

 

जब हुई सृष्टि की रचना, त्रिदेव ने सृष्टि पर मौन के कारण,

सृष्टि में कुछ अभाव पाया।

ब्रह्मा जी ने तब, सुरों का सुझाव सुझाया।

 

ब्रह्मा जी ने कमंडल से

जल की कुछ बूंदों का

कुछ उच्चारण करके

धरती पर जल प्रक्षेप किया।

 

भूकंपन के साथ

एक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ

जिनके एक हाथ मे वीणा,दूसरे में मुद्रा अन्य

दो में पुस्तक माला थी।

 

मां को प्रणाम कर,त्रिदेव ने वीणा वादन का प्रस्ताव दिया।

वीणा वादन से त्रिलोक में मधुर नाद का आगाज़ हुआ।

जन जीवों में चंचलता का प्रसार हुआ।

 

भाव विभोर हो उठी मौन सृष्टि

जब संगीत की देवी मां सरस्वती ने वीणानाद किया।

 

त्रिदेव ने मां को मां शारदे,मां सरस्वती,मां वीणा पाणी ,

मां वीणा वादिनी,मां भगवती आदि नामों से विभूषित किया।

धरती को ज्ञान,बुद्धि विद्या से अलंकृत किया।

 

 

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