मन क्यों यह मेरा शोर करे
विशाल सरीन
आज की जिंदगी में बहुत शोर है। कहीं गाना बजाना हो रहा है, कहीं धर्म प्रचार तो कहीं सियासी जुगलबंदी का ज़ोर है। अब हर किसी का जिंदगी जीने का अपना ढंग है। कुछ लोगों को यह शोर बहुत रास आता है। वहीं कुछ लोग शांत स्वभाव के होते हैं और शोरगुल से दूर रहना पसंद करते हैं। ऐसे शोर कभी-कभी ठीक भी लगता है। परंतु रोज की बात हो जाए तो कई तरह की दिक्कत पैदा कर देता है। ऐसे ही एक शोर होता है जिसका बाहरी दुनिया को पता नहीं रहता और वह होता है आपका आंतरिक शोर। जिसका कारण होता है आपकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी और उससे जुड़े लोग। आज हम यहां जमाने के बाहरी शोरगुल नहीं बल्कि अपने अंतर्मन की शोर की बात करेंगे।
ऐसा शोर होने के इनमें से कुछ कारण हो सकते हैं। एक विद्यार्थी बहुत मेहनत करने के बावजूद इम्तिहान पास नहीं कर पा रहा और परेशान हैं। पति-पत्नी का आपसी तनाव कम नहीं हो रहा, जिससे आंतरिक परेशानियां बढ़ती है। पिता बहुत मेहनत कर रहा है परंतु अपने परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता। ज़िन्दगी में किसी बहुत करीबी की कमी जिससे सारी दुनिया बेरंग लगती है। एक कर्मचारी अथक परिश्रम करने पर भी अपने बॉस को खुश नहीं कर पाता और परेशान रहता है। माता-पिता के बुजुर्ग हो जाने पर बच्चे उनको इग्नोर करते हैं - इससे माता-पिता को लगता है कि संस्कारों में कहीं कमी रह गई होगी और मन ही मन खुद को कोसते हैं।
ऐसे समय में कभी-कभी इंसान के मन में गलत ख्याल भी आते हैं जिससे कुछ अनहोनी होने की भी संभावना रहती है। सोचिए ऐसे किसी हालात में कोई ड्राइव कर रहा है अथवा ऐसी परिस्थिति में कोई डॉक्टर किसी मरीज का इलाज कर रहा है तो जिंदगी का खतरा भी बना रहता है।
जिंदगी में हर कोई परिपक्व नहीं होता। हर किसी की जिंदगी में ऐसे पल जरूर आते हैं जो इंसान का इम्तिहान लेते हैं। कुछ लोग इनसे घबराकर अपना रास्ता बदल लेते हैं तो कुछ बुलंद हौसले से इनका सामना करते हैं। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बहुत कॉन्फिडेंट नहीं होने पर भी रास्ता नहीं बदलते परन्तु ऐसे पलों का सामना करते हुए उसका अनुभव लेना चाहते है। कहीं समतल तो कहीं डगमग डगर भी रहती है परन्तु हमें घबराना नहीं है। पहचानिये अपने आपको और सबसे पहले मन को शांत करें। उबलते हुए पानी से जलने अथवा घाव का खतरा हमेशा बना रहता है।
जिस तरह हर किसी के मन के शोर का कारण अलग है, तो उसका हल भी उसके अनुसार अलग हो सकता है। इनमें से कुछ समाधान ऐसी किए जा सकते हैं।
1. अपनी रुचि के अनुसार कुछ गतिविधि करें जैसे अगर आपको गाने में, नाचने में, पतंग बाज़ी, कुछ खेलने इत्यादि में मन लगता है, तो सारे काम छोड़कर कुछ समय इसमें बिताएं। मन की शांति के लिए कुछ हल्का संगीत सुना जा सकता है जो आपके मन को रिलैक्स गए।
2. सक्सेसफुल लोगों के बारे में पढ़ें और देखें कि उन्होंने अपनी जिंदगी के मसलों का समाधान कैसे किया।
3. हर किसी कि जिंदगी में कोई ना कोई इंसान ऐसा होता है जिससे वह दिल की बात कर सकता है। उसके साथ सलाह करके अपने मन की चिंता का हल निकाला जा सकता है।
4. कभी -कभी बहुत व्यस्त होने पर आप खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते। ऐसे समय में कुछ विश्राम के पल, अपने परिवार के साथ बिताने पर भी मन को शांति मिल सकती है।
मेडिटेशन भी ऐसे हालात में बहुत कारगर है। इससे इंसान खुद के अंदर झांकते हुए परमात्मा तक पहुंच सकता है। इसमें कहीं आने जाने की जरूरत नहीं है और कुछ पैसा भी खर्च नहीं होता। अपने आराध्य के सामने आंखें मूंदकर ध्यान करें, अपने अंतर्मन में झांकते हुए नाभि से धीरे-धीरे सांस को ऊपर लाए। इंद्रियों को जगाते हुए ऐसा महसूस करें कि वह श्वास जो नाभि से शुरू करी थी, वह सिर से निकलते हुए परमात्मा के साथ मिल गई है। कुछ पल इसका अभ्यास करते हुए आपको बहुत हल्का महसूस होगा। रोजाना इसका अभ्यास करने से आंतरिक और शारीरिक लाभ भी होगा।
आशा करता हूँ कि हम सब लोग मिल जुल कर रहे और एक दूसरे के काम आये। परमात्मा आंतरिक संतुष्टि के साथ, सबके जीवन को खुशियों से आनंदित करें।
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