चलो चलें स्कूल कि हमको पढ़ने जाना है!
दो |
साल बीत गये जब बच्चों ने स्कूलों में अपनी खिलखिलाहट छोड़ी थी। कोरोना ने बच्चों को स्कूल जाने से रोक दिया था। सरकार के टीकाकरण अभियान और हमारी सफाई की आदतों में लगातार सुधार ने आखिरकार कोरोना को भगा कर ही दम लिया। आज सभी स्कूल खुल गये हैं। स्कूल में बच्चों की चहल-पहल ने स्कूल को फिर से खुशनुमा माहौल दे दिया है। शिक्षकों को अपने प्यारे बच्चों और बच्चों को अपने प्यारे स्कूल की चाह ने उनके चेहरे खिला दिये हैं।
घर पर बहुत कुछ सीखा जा सकता है, पर उतना कभी नहीं सीखा जा सकता है, जितना स्कूल में शिक्षकों और अपने साथियों के बीच रहकर सीखा जाता है। अर्जुन और चंद्रगुप्त बनने के लिये गुरूकुल यानि स्कूल और गुरू की जरूरत होती है।
हर विद्यार्थी सुबह उठते ही अपने स्कूल, अपने दोस्तों और शिक्षकों को एक बार अवश्य याद करता है। छुट्टियों के दिनों में तो उसका प्राण उसके स्कूल के इर्द-गिर्द ही रहता है। वह सब कुछ छोड़ देता है, पर स्कूल जाना नहीं छोड़ पाता है। यह उसका स्कूल ही होता है जो उसे कच्ची मिट्टी से संवारकर एक उपयोगी पात्र बनाता है। यह उसका स्कूल ही होता है जो उसे भविष्य की उन तमाम तरकीबों को सिखाता है जो उसकी उन्नति के लिये जरूरी होते हैं। यह स्कूल ही होता है जो उसे उस गुरू से मिलाता है जो उसका जीवन एक ऐसी डगर पर डाल देता है जो उसे भविष्य का शिवाजी बनाता है। यह स्कूल ही है जो उसे हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहने की ललक उसके अंदर पैदा करता है। यह स्कूल ही है जो उसे समाज का अंग बनाता है जिससे वह अपने समाज के कल्याण के लिये कुछ कर पाता है।
स्कूल सबको साथ लेकर चलना सिखाता है। खुद की जिंदगी जीने के लिये स्कूल जाने की बहुत जरूरत नहीं होती है। देश, समाज और अपने आसपास के लोगों के लिये कुछ करने के लिये सीखने के खातिर स्कूल जाने की जरूरत होती है। बुद्धि की बंद कली को खिलाने के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है। उदारता सीखने के लिये स्कूल की जरूरत होती है। दानवीरता सीखने के लिये स्कूल की जरूरत होती है। वीरता को बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है। धनार्जन के बाद उसे उपयोगी कामों में खर्च करने के तरीके सीखने के लिये स्कूल की जरूरत होती है। समय को सही तरह से जीवन-यात्रा में उपयोग करने के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है। सुख-दुःख में सम्यक रहने के तरीकों को जानने के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है। समय पर एक-दूसरे की मदद के लिये साथ खड़े होने के तरीकों को जानने के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है। युद्ध जीतने और हार के बाद से फिर से उठ खडे़ होकर दुश्मन से युद्ध जीतने के लिये आत्मबल बढ़ाने का तरीका जानने के लिए स्कूल की जरूरत होती है। अगर कोई काम हाथ आ जाये तो कैसे उसे उत्तम तरीके से निपटाया जाये, यह जानने के लिये स्कूल जाने की जरूरत होती है।
स्कूल हमारे अंदर वह चाह पैदा करता है जिससे हम सोचना सीख जाते हैं और फिर इसके बाद हमें किसी सिखाने वाले की जरूरत नहीं पड़ती है। यह सीख हमें अचानक नहीं मिलती है। इसके लिये हमें बड़े उत्साह और परिश्रम की जरूरत होती है जो हमारे शिक्षक हमें स्कूल में देते हैं। यह हमारा स्कूल और हमारे शिक्षक ही हैं जो हमें एक चलता-फिरता ज्ञानपुंज बनाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिये सक्षम बनाते हैं।
ज्ञान विज्ञान सरिता का मई का यह अंक हम अपने पाठकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों को इस आशय से प्रस्तुत कर रहे हैं कि सब लोग स्कूल और उसकी उपयोगिता का महत्व समझें, उसका अधिक से अधिक सदुपयोग करें और छुट्टियों के खाली समय को नयी-नयी बातें सीखने में लगाएं, ताकि जब स्कूल छुट्टियों के बाद खुलें तब फिर यह चाह गहरी हो जाये:
चलो चलें स्कूल कि, हमको पढ़ने जाना है
हम ही हैं भविष्य देश का, साबित कर दिखलाना है
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