मदद में सब साथ खड़े हों
उर्मिला द्विवेदी
गजब ढंग में शहर है जीता
खुद में डूबा हरदम रहता
कोई फिक्र नहीं यह करता
कौन पड़ोस में इसके रहता?
जिस मिट्टी की सीख रही हो
सभी साथ हों सभी मस्त हों
उन्नति सबकी साथ साथ हो
फिर क्यों इतनी दूरी पर हों?
गांव का जीवन होता सच्चा
बाबा दादी जानें हर बच्चा
दुःख सुख में पहुंचें हर आंगन
काम छोड़ सब आनन फानन
मदद में सब साथ खड़े हों
दिल का मेरे यह कहना है
हम से ना तकलीफ उसे हो
जो चाहे दिल से हमको है
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