कुछ भाव दिल के
विशाल सरीन
दुनिया तोहमत लगा कर भी, हमसे खफ़ा हो गई,
हम तो ठहरे नादान, बेवफाओं से भी वफ़ा हो गई।
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कुछ पल छिने से लगते है, ज़िंदगी में
जब आंखों से नीर छलकता है, मां बाप को बच्चों से मिलते देखकर।
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इंसानियत की रूहानियत, क्या जानो
यहाँ अपने पराये, और पराये अपने हो जाते है।
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कुतर-कुतर कर कतरा-कतरा, कतार बना दी कतरों की।
समुन्द्र उनके सूख गए है, जिसने कदर न की उन कतरों की।
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गम का कोई तलबगार नहीं होता, आंसुओं का कोई खरीदार नहीं होता।
जब भी हसने का मौका मिले, तो हस लो यारो,
क्योंकि खुशियों का कोई बाजार नहीं होता।
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खुली किताब है किसी का जीवन, तो कुछ बड़े ही छुपे रुस्तम होते है।
छीन लेते है दूसरों का गम अपनी खुशियां देकर,
वह तो आप जैसे लोग है जो शब्दों से ज़िन्दगी पिरोते है।
बचपन का गुज़रना ही बड़ी गुस्ताखी थी,
और फिर बदकिस्मती माँ के आँचल से दूर होना।
लोग तो ऐसे ही, मौत को दोष देते हैं।
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सुना था उस जमाने को, जब मां को भगवान से बढ़कर मानते थे।
जिसने दूरियाँ बना दी बहुत, उस कमाई को माँ से भी बड़ा होते देखा है।
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कहां इस ज़िन्दगी में, अच्छी तक़दीर हर किसी को मिलती है।
माँ बाप की सेवा तो, किस्मत वालों को ही मिलती है।
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कुछ शब्द ऐसे होते है, जो निःशब्द कर देते है।
चेहरे पर तो ख़ुशी होती है, पर दिल में दर्द भर देते है।
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ज़िन्दगी की खूबसूरती पूछ उनसे, जिनको दिखाई नहीं देता।
शोर की कीमत पूछ उनसे, जिनको सुनाई नहीं देता।
घबरा मत ज़िन्दगी से, सोने के महल में रहने वाले।
जीने का हुनर सीख उनसे,
जिनको खाने में निवाला हासिल नहीं होता।
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