आदर्श विधार्थी

सुरेश तलरेजा

आदर्श विधार्थी जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में विधार्थी  के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता हैशिक्षक केवल विधार्थी का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके   स्वयं  के  अंदर  सीखने  की कितनी लगन है |

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं :-

1.आदर्श विधार्थी कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा के सत्रों में करते  हैं।

2.अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।

3.वे हर दिन घर पर  पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करते है, साथ ही चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।

4.वे केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।

5.वे हर गतिविधियों पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयत्न  करते हैंI असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।

6.वे असफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श विधार्थी  वे होते हैं जो स्कूल मे सबके अच्छा व्यवहार करते  हैं | हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है |

एक आदर्श विधार्थी  का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श विधार्थी  का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

 संपूर्ण विश्व डा. .पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है। शिक्षा केवल विधालय अथवा विश्व विधालय से प्राप्त डिग्री तक सीमित नहीं है | शिक्षा जीवन भर सीखने की भूख का नाम है, पढ़ो और पढाओ से ही जीवन सार्थक  होता हैं | डॉ कलाम इसके ज्वलंत उदाहरण हैं, जीवन के अंतिम क्षणों में भी विधार्थीयो पढ़ाते हुए प्राण त्यागे |संसार के अंदर शिक्षा के बहुत से विषय है जिसके लिए जीवन बहुत कम है | अर्जुन को आदर्श विधार्थी के रूप में जाना जाता हैं , उनमें धनुर विधा सीखने की लगन का तो अंदाज नहीं लगा  सकते हैं |

 

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