ना रहो उम्मीद में
उर्मिला द्विवेदी
ना रहो उम्मीद में गिरोगे तो
उठा लेगा आकर कोई
ना कूदो दरिया में सोचकर
बचा लेगा कूदकर कोई
सड़क पर घायल की मदद
ना कोई करता है
अपनी गाड़ी से अस्पताल
ना कोई ले जाता है
लोग बनते जा रहे हैं
तमाशबीनों का एक डेरा
पाते जब किसी को मुसीबत में हैं
फोटो के लिये बना लेते हैं बस घेरा
अजीब सा मौसम हो गया है
अच्छी बातें लगती हैं न भली किसी को
हर कोई बेचैन है अंदर ही अंदर
न खुद खुश है न रहने देता है औरों को
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