पोरसा एक गॉव - प्रगति के पथ पर…

कर्म ही हमारा अधिकार है !

कुसुम लता गुप्ता

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

ग्राम पोरसा में एक गरीब कन्या जिसका विवाह होना था, ठीक विवाह से 7  दिन पूर्व उसके पिता का देहांत हो गया ,तो मेरे सास-ससुर श्रीमती अनार देवी एवं जय गोपाल जी जो धार्मिक एवं दयालु प्रवृत्ति के थे, ने उस कन्या का कन्यादान किया। जब मेरे सास-ससुर ने कन्यादान किया, तो  वो कन्या मेरी ननद हो गई। 2014 में उनकी कन्या के विवाह में प्रोफेसर हरिओम गुप्ता (मेरे पति )ने भात दे दिया । अभी उस लड़की के विवाह को मात्र 6 वर्ष 1 माह ही हुआ था, कि उसके  पति की मृत्यु हो गई।

उस लड़की के पास 2 पुत्र हैं । 5 वर्ष का एवं 2 वर्ष का । उस लड़की की ससुराल भी रोज कमाना खाने तक ही सीमित थी। जब मुझे नवंबर में पता चला की इस तरह की घटना घट गई है, तो मैंने उसकी मां से पूछा कि अब आप आगे उस बेटी के बारे में क्या सोच रही हैं ,तो उन्होंने कहा कि उसकी दूसरी शादी करेंगे।

मैं उस लड़की के बारे में सोच-सोच कर बहुत परेशान रहने लगी । मेरे पास उसका कोई अता पता नहीं था । तब मैंने उसके भाई से उस लड़की का फोन नंबर लिया, उससे बात की तो पता चला कि वो इस समय सिर्फ 25 वर्ष की है ।मुझे बड़ा दुःख हुआ ।उससे उसकी शिक्षा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने प्लस टू(12) बायो साइंस से किया है । मैंने उससे पूछा तुम आगे पढ़ोगी, तो उसने बड़ी उत्सुकता पूर्वक कहा कि मैं बी.एस.सी. करना चाहती हूं।  मैंने कहा तुम बी.एस.सी. का फॉर्म भरो, मैं तुम्हारी  स्टडीज को फाइनेंशियली सपोर्ट करूंगी । जब वह फॉर्म डिपॉजिट करने गई तो यूनिवर्सिटी के रजिस्टार ने मुझसे बात की कि मैम ! बीएससी करने से कोई फायदा नहीं होगा इन्हें कोई वोकेशनल ट्रेनिंग करवाओ । उन्होंने ही बताया कि ए.एन.एम. नर्सिंग ट्रेनिंग करवा दीजिए 2 वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स है । मैंने उस लड़की से कहा कि तुम इस कोर्स के बारे में पता करो और मैं भी पता करती हूं ।दोनों ने बहुत छानबीन की। मेरा एक चचेरा भाई डॉक्टर प्रेम गुप्ता से बात करने पर पता चला कि बी.एस.सी. नर्सिंग उसके लिए ज्यादा अच्छा रहेगा । उन्होंने कहा की यह कोर्स 4-1/2 साल का है, खर्चा कुछ ज्यादा होगा, पर उसका जीवन सुधर जाएगा।  अब मैंने इस दिशा में खोज शुरू की तो ग्वालियर में एक अवध माधव नर्सिंग कॉलेज है, वहां पर एप्रोच किया तो उसका एडमिशन हो गया ।

इस एडमिशन में मुझे डॉ हरिओम गुप्ता ने बहुत सपोर्ट किया ।डॉ गुप्ता ने ही कॉलेज के स्वामी से बात की कि इस लड़की को कुछ जॉब भी दे दो ताकि उसके रहने खाने की व्यवस्था हो जाए।

मैं अवध माधव कॉलेज के स्वामी का धन्यवाद करती हूं कि न  केवल उन्होंने उसे जॉब दिया बल्कि उसके एवं उसके बच्चों के रहने खाने की व्यवस्था फ्री में कर दी।

यदि हम किसी की सहायता के लिए एक कदम उठाते हैं तो ईश्वर कई कदम आगे हाथ बढ़ाकर हमारी सहायता करता है।

मेरे शुभ कार्य के प्रेरणास्रोत हैं, मेरी एक सहेली रेखा अग्रवाल, पत्नी स्वर्गीय डॉक्टर आर.सी अग्रवाल,आईआईटी रुड़की रेखा। ने अपने पति की मृत्यु के उपरांत भी इक माली के लड़के को कक्षा बारहवीं तक हर तरह से सपोर्ट किया उस लड़के ने V.I.T. से बीटेक किया है और अब अच्छी जॉब कर रहा है, जर्मनी जाता रहता है अभी लॉकडाउन के कारण नहीं जा पाया है।

दूसरी प्रेरणा स्रोत है अर्चना शर्मा पत्नी स्वर्गीय डॉ जे. डी. शर्मा आई.आई.टी. रुड़की । वह तो पूरे परिवार को अपने घर में रखकर पाल रही हैं उनके बच्चों को पढ़ा रही हैं । अब उस परिवार का एक लड़का बी.टेक. कर रहा है तथा एक लड़की बी.एस.सी के बाद B.Ed कर रही है।

यह सब लिखने का तात्पर्य यह नहीं है कि मैंने बहुत अच्छ काम किया है मैं या  अपनी तारीफ कर रही हूं। कभी-कभी हम भी समाज के  अभावग्रस्त लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं पर हमें समझ नहीं आता हम कैसे करें एवं क्या करें, कि हो सकता है मेरे इस लेख से किसी को प्रेरणा मिले और वह भी किसी का जीवन सवारने में अपना योगदान दे सकें।

यदि किसी के संपर्क में इस तरह की अभावग्रस्त  स्त्री आती है तो कृपया मुझे बताएं मैं उसकी सहायता करने की आगे भी इच्छुक हूं।

पोरसा में किये जा रहे अन्य प्रयासों की जानकारी के लिए पढ़ें : पोरसा पोरसा एक गॉव : प्रगति के पथ  पर... 

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