राम बसे हैं कण-कण में

उर्मिला द्विवेदी

(रामनवमी के पावन पर्व पर कुछ पंक्तियां)

 


(1)

पृथ्वी के आधार हैं राम

जीवन दाता राम का नाम

कर्म सिखाते सबको राम

जन जन को संग रखते राम

 

(2)

 कण कण में हैं बसते राम

हम ढूंढे़ं मंदिर में राम

मन के घर में रहते राम

प्राण प्राण में होते राम

 

(3)

 कर्म में बसते राम मिलेंगे

दीनबंधु में राम मिलेंगे

करो भलाई राम मिलेंगे

सेवा में ही राम मिलेंगे

 

(4)

 मंदिर नहीं राम का घर है

संत की बगिया राम का घर है

शिक्षालय ही राम का घर है

रूग्णालय ही राम का घर है

 

 

(5)

पर सेवा में मिलते राम

जन सेवा में दिखते राम

बच्चों की शिक्षा  में राम

रोगी की सेवा में राम

 

(6)

 गुरू चरणों में होते राम

माता की ममता में राम

मर्यादा में रमते राम

मानवता में मिलते राम

 

(7)

 मधुर बोल में राम मिलेंगे

जीव जंतु में राम मिलेंगे

राष्ट्रप्रेम में राम मिलेंगे

जन जीवन में राम मिलेंगे

 

(8)

 राष्ट्रभक्ति ही रामभक्ति है

जीवन रक्षा राम प्रेम है

भली भलाई राम ध्यान है

सम्मति देना राम नाम है

 

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