मेरी प्यारी गुड़िया ...

                                     सुभाष चौरसिया 'हेम बाबू'

 


मेरी नन्ही प्यारी प्यारी गुड़िया

भोर सबेरे जग जाती

ईश वन्दना करती नित

धरती माता को शीश नवाती

नित्य सुबह करती वो मंजन

दन्त पंक्ति को चमकाती

प्रात:ही घर के द्वारे को

झाडू लेकर बहुराती

चादर, तकिया और बिछौना

यथा विधि से तहराती

फिर आती स्टडी रूम में

वीणा वादनी को शीश नवाती

मेरी नन्ही------


ध्यान लगाकर पाठ वो पढ़ती

नित्य नियम से गणित लगाती

कठिन से कठिन प्रश्नों के उत्तर

आसानी से हल कर जाती

अंग्रेजी की ग्रामर पर भी

अपना ध्यान लगाती

अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर

सोच समझ कर सुलझाती

समय से करती होम वर्क वो

फिर स्कूल की तैयारी में जुट जाती

मेरी नन्ही प्यारी-------


वाथ रूम में खोल फ्व्वारा

रगड़ रगड़ कर खूब नहाती

अपने तन को साबुन से धोकर

गोरे तन को निखराती

खुदरी टावल से रगड़ रगड़ कर

तन का मैल छुटाती

 घर मन्दिर में पूजा कर

मन को भी पवित्र बनाती

 मात-पिता दादा-दादी को नमन कर

 भाई बहिन को प्यार लुटाती

स्वच्छ सुन्दर ड्रेस पहन कर

स्कूल को दौड़ लगाती

मेरी नन्ही------


टीचर की है वो बहुत चहेती

हर दम हंसती कभी न रोती

मिल कर खाती मिल जुल कर पढ़ती

झूठी बातें कभी न करती

सच्चाई से कभी न हटती

 मौन ही मौन पढ़ती किताबें

गपशप से सदा दूर रहती

खेल कूद मे अव्वल आती

लिखने पढ़ने में समय बिताती

आगे ही आगे बढ़ती जाती

मेरी नन्ही------


आओ बच्चो हम सब मिलकर

गुड़िया की तरहा प्रयास करें

ऱोज उठें हम सूरज से पहले

नन्ही प्यारी गुड़िया सा अभ्यास करें

पढें लिखें हम ध्यान लगा कर

जीवन में कुछ खास करें

मात-पिता संग काम करें

हम टीचर संग ज्ञान बढा़यें

आओ पढे़ हम नया गढे़ हम

स्वच्छ सुन्दर भारत देश बनायें

हंसती खेलती इठलाती

आसमान पर प्लेन उड़ाती

मेरी नन्ही प्यारी गुडि़या

भोर सबेरे उठ जाती

मेरी नन्ही------



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