संघर्ष ही जीवन है
विशाल सरीन
हर कोई जिंदगी को अपने नजरिए से देखता है। किसी के लिए मुश्किलें रुकावट है, तो किसी दूसरे के लिए जिंदगी में कुछ नया सीखने का मौका। जिंदगी के प्रत्येक पहलू के लिए, हर किसी का अपना एक मनोवैज्ञानिक तरीका है। किसी के लिए गिलास आधा भरा है, तो किसी के लिए आधा खाली। मुश्किलों से भाग जाने वाले मुकाम पर नहीं पहुँचते। ऐसा होता तो आज जिन सुविधाओं का आनंद हम ले रहे है उनसे वंचित रह जाते। जैसे कि जहाज, कार, रोबोट, मोबाइल फ़ोन इत्यादि, क्यूंकि यह आधुनिक सुविधाएं आसानी से हासिल नहीं हुई।
उम्र के किसी भी पड़ाव को देख लीजिए - किसी एक ही काम के लिए हर किसी का अपना अलग विचार है। जहां विद्यार्थी जीवन में, किसी के लिए पढ़ाई बहुत मुश्किल है तो उसी पढ़ाई को दूसरा बच्चा अव्वल दर्जे में पास करता है। वहीं उम्रदराज होने पर कोई ज़िन्दगी को बोझ मानता है, तो ऐसे में दूसरे साहब कहते है कि ज़िन्दगी जीने का असली मज़ा इसी उम्र में है। अगर कोई असफलता को अपने जिंदगी की रुकावट समझता है, तो वही किसी के लिए वरदान है। सफल व्यक्ति अपने फेलियर को ज़िन्दगी का अनुभव बताते है।
एक साहब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देने जाते हैं, नतीजा होता है फेल। थोड़ा पैसा देकर किसी ड्राइविंग स्कूल से ड्राइविंग सीखता है, फिर से फेल हो जाता है। जिससे वह बहुत निराश हो जाता है। परंतु ड्राइविंग टेस्ट पास किए बिना ड्राइव नहीं कर सकता, वह उसकी जरूरत है। बढ़ी हुई निराशा के साथ जरूरतों को पूरा करना और भी मुश्किल हो जाता है। उन साहब ने अपनी हार का विश्लेषण किया, पढ़ाई के साथ-साथ ड्राइविंग का अभ्यास किया और एक बार फिर से टेस्ट दिया। इस बार पास हो गया, खुशी का ठिकाना ना रहा। अब वह कानूनी तौर पर ड्राइव कर सकता था। अब अपने परिवार को साथ लेकर भी जाता तो बहुत विश्वास से कार ड्राइव करता। उसको लगता कि फेलियर के बाद अभ्यास ने उसको बहुत कुछ सिखाया, बहुत सारी गल्तियों को सुधारा। परिवार को साथ लेकर ड्राइव करने के लिए यह जरूरी भी था, नहीं तो सब की जान खतरे में होती।
अक्सर जब इंसान धीरे-धीरे प्रयत्न करता रहता है, और अंततः सफल होता है तो उस सफलता का मजा अलग ही होता है। इसलिए इरादों में कभी कमी नहीं आने देनी चाहिए। कभी-कभी किसी के पास साधनों की कमी होती है, सफलता अति आवश्यक होती है। इस समय में असफलता ऐसे लगती है कि इसके बाद तो जिंदगी खत्म है। जीने के मायने बे-मायने लगने लगते हैं। ऐसे समय में रोशनी की एक किरण डूबते हुए के लिए तिनके का सहारा बनती है और उसे किनारे लगाती है। पानी की एक बूंद का वजन कुछ नहीं होता, लेकिन एक ही जगह पर गिर गिर कर पत्थर में भी छेद कर देती है।
मकड़ी को बहुत आसानी से मसल दिया जा सकता है। लेकिन ऐसे कमाल का जाल बनाती है कि इंसान सोच में पड़ जाता है कि इसको बनाने में कितनी मेहनत लगी होगी। पता नहीं रोजाना इंसान के पैरो तले आकर कितनी चींटियां मसली जाती होगी। ऐसे छोटी सी चींटी की मेहनत, लगन और प्लानिंग देखकर इंसान दंग रह जाता है। कोई शारीरिक आकर से कैसे भी लगता हो, परन्तु किसी के ज्ञान पर कभी शक नहीं किया जा सकता।
पहले जब कभी सुनते थे कि ऐसे फ़ोन इज़ाद होंगे जिससे इंसान कहीं पर भी होते हुए बात कर सकेगा और बात करने वाले को देख सकेगा। एक जगह बैठने की जरूरत नहीं होगी। ऐसा सुन कर लगता था की नहीं ऐसा तो संभव नहीं। फिर सुनने में आया कि एक पल में आपकी चिट्ठी मीलों दूर बैठे लोगों को मिल जायेगी। तो भी वही सोच रहती कि ऐसा कैसे हो सकता है, यह सब किसी चमत्कार से काम नहीं लगता था। लेकिन आज हम लोग साइंस के ऐसे दौर में है जहां बिना ड्राइवर के कार, फ्लाइंग कार, दूसरे ग्रहों पर जाना इत्यादि सब कुछ संभव है।
ऐसे विद्यार्थी जिनके पास साधनों की कमी है, ट्यूशन फीस देने के पैसे नहीं, किताबें भी नहीं। फिर भी भगवान ने इरादे ऐसे पक्के दिए कि पहाड़ तोड़ कर नदियां निकाल दे। ऐसे ही कुछ बुजुर्ग जो सोचते हैं कि 60 के बाद जिंदगी बीमारी से बिस्तर पर ही गुजरेगी। वहीं कुछ ऐसे जवान भी हैं जो 60 के बाद जिंदगी की शुरुआत करते हैं। बहुत से बिजनेसमैन ऐसे हुए जिन्होंने इस उम्र के बाद काम शुरू किए और अत्यधिक सफल हुए। अधिकतर देशों के आहला अधिकारियों की उम्र 60 के करीब या ज्यादा ही होती है।
Age is no bar - it's only the thought process. यह तो निर्भर करता है कि आप जिंदगी को जीना चाहते हैं या बिताना चाहते हैं। किसी की ज़िन्दगी में कितने श्वास है, परमात्मा के सिवाय कोई नहीं जानता। लेकिन जिंदगी के हर पल को पूरे उत्साह से जियो। पता नहीं आप कितनों की जिंदगी का सहारा बन जाओ। हमेशा अपनी फेलियर को सफलता की सीढ़ी मानते हुए आगे बढ़ते जाओ।
कुछ महानुभाव बताते है कि जैसे जैसे मुश्किलों का सामना करो, उनको सुलझाते जाओ। अन्यथा यह मुश्किलें इंसान को उलझा देती है। ऐसे ही विद्यार्थी जीवन का अनुभव बताता है कि कुछ चैलेंजेज को शुरुआती पड़ाव में इग्नोर किया तो वो हर पड़ाव में सामने आने लगी। अंततः सोचा की इनको हल किया जाए। उसके समाधान के बाद ऐसा सुखद अनुभव हुआ कि पता नहीं कितना बड़ा पहाड़ निकल लिया और सोचा की इनको पहले ही किया होता तो आज तक इसका आनंद मानता।
आप किसी भी सफल इंसान की कहानी पढ़ लीजिए। आपको कोई भी ऐसा नहीं मिलेगा जिसने जिंदगी में मुश्किलों का सामना ना किया हो। उनका सोचना है कि मुश्किलें जिंदगी के अनुभव की मीठी यादें है। अगर आपने जीवन में संघर्ष किया है तो आपकी जिंदगी का अनुभव आने वाली पीढ़ियों में याद रहेगा।
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