कलयुग

डॉ संगीता पाहुजा 

‌आ गया वो कलयुग (कठिन युग) , जिसकी चेतावनी प्राचीन युग में सुनते थे |

‌जीवन की चार    अवस्थाओं का क्षीण हुआ काल और

‌ क्षीण हो गया बल, कलयुग के तनावों में|

 

‌शैशव अवस्था हुई अल्प काल की, बाल्यकाल का हुआ लोप

‌युवा शक्ति हुई गुलाम विदेशी नीतियों की|

वंचित हो गई बाल्य अवस्था ममता की बोछारों से|

 

‌जुट गई युवा सोच, विदेशी कंपनियों की तरक्की में|

‌हुआ तबादला युवाओं का, स्वदेश से परदेश में|

कैद हुए माता पिता, आधुनिकता की दीवारों में|‌

स्वयं का घर ही तब्दील हुआ वृद्धाश्रम में|

 

‌था जो देश मिसाल, पारिवारिक एकता की, संस्कारो की,

 कैद हुआ दिखावे की जंजीरों में|

‌परदेश को ही देश समझ, लुप्त हुआ पराधीनता का भाव|

‌संस्कारों का हुआ खात्मा, मिथ्या आडंबरो के बहकावे में|

‌आ गया वो कलयुग, जिसकी चेतावनी की गाथा, सतयुग में सुनते थे|

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