दिल कहता है

सुभाष चौरसिया "बाबू"


कहने दो

उसकी बात नहीं सुनना

करना वही जो रूह कहे

नेक राह को तुम चुनना

चुनना तुम राह वही

जिस पर मानवता चलती है

गुनना तुम  वही गूढ़ मन्त्र

जिस पर इन्सानियत पलती है

हो पडो़सी भू खा

"बाबू" खा लेना एक निवाला

आंसू से कर देना लेप

हो कोई जो उसके छाला

छल कपट की बात करना

पर देख धरोहर आह भरना

मर मिट जाना देश धर्म पर

 निन्दित कोई कर्म करना

प्रेम पियूष बरसाते रहना

हंसते और हंसाते रहना

झोली में भर लेना उनके दुख

सुख से वंचित जो रहता है

सुन लेना तुम बात रूह की

नहीं गुनना नहीं सुनना

नहीं रखना कोई मतलब जो

दिल कहता है

दिल कहता है

कहने दो

दिल तो पागल दीवाना है

आवारा है मन माना है

नहीं भरोसा  करना इस पर

जाने किस पर जाये

मनचला, मतवाला दिल

जाने कब किसका हो जाये

प्यार करे आह भरे

रातों की नींद खराब करे

सपनो में आने जाने की आदत है

 आशिकाना ही इबादत है

प्रेयसी हूर नजर आती है

कोई भी दिल में बस जाती है

आज है इसका, कल उसका

हर पल छलता छल इसका

मनचला है ,दिलजला है ये

हर दम बेचेनी में रहता है

दिल कहता है

दिल कहता है

कहने दो

इसको बस में रहने दो

सुख दुःख इसको सहने दो

कंटक राहो पर चलने दो

उच्च शिखर पर चढ़ने दो

निर्मल जल की चाह अगर

नदी सा इसको बहने दो

दीन  दुखी से मिलने दो

कांटो में इसको खिलने दो

खेतों में हल चलाने दो

श्रम जल बूंद बहाने दो

जाग्रत स्वप्न सजाने दो

सपने साकार बनाने दो

मिलने और मिलाने दो

दीन दुखी को गले लगाने दो

परहित भाव  से परिपूरित हो जो दिल

ईश उसी के दिल में रहता है

दिल कहता है


 

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