Description: d.jpg सम्पादकीय

भ्रष्ट आचरण और गंदी भाषा बोलने वालों को नकारने की जरुरत

 

भारत की शासन-व्यवस्था विश्व की प्राचीनतम गणतंत्रों की मार्गदर्शक रही है। यहां के शासनतंत्र में योग्यता को हमेशा से गौरव मिलता रहा है। हमारे देश में, बचपन से ही, अपनी मातृभूमि की रक्षा करना, हर देशवासी को सिखाया जाता रहा है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी को हमारे ऋषियों और मनीषियों ने हमेशा से अपनी जीवनशैली का अंग माना है। प्राचीन काल में राजा देश और प्रजा की रक्षा करते-करते अपने प्राणों की आहुति दे दिया करता था। वह अपनी सुविधाओं के लिए कम और अपनी प्रजा की भलाई के लिए ज्यादा चिंतित रहता था।

भारत को 1947 में अंग्रेजों के शासनकाल से राजनीतिक स्वतंत्रता मिली। एक दल विशेष की सरकार करीब 70 सालों तक देश पर शासन करती रही। जनता स्वतंत्रता के इतने दिनों बाद तक गरीब ही रही। हर एक चीजों के लिये विदेशों की तरफ ही उसे ताकना सिखाया गया। भारत के बाद स्वतंत्र हुये दूसरे देश अपनी ईमानदारी और आत्मनिर्भर बनने की सोच के कारण उन्नति के शिखर तक जा पहुंचे, पर भारत के राजनेताओं ने भारत को आत्मनिर्भर न बनाकर दूसरे देशों का पिछलग्गू बनाकर रखना ही अच्छा मान लिया था। हमारे शासकों की सोच थी कि जब तक देश गरीब रहेगा, उनका शासन बिना रोक-टोक चलता रहेगा।

समय के बदलाव के साथ जनता की समझ में बदलाव आया। जनता की समझ में जब यह आया कि इज्जतदार जिंदगी के लिये तो पूरे देश का शक्तिशाली होना जरूरी होता है, तब उसने एक शक्तिशाली राजनीतिक नेतृत्व की ओर देखा, उस पर विश्वास किया और उसे शक्तिशाली बनाकर देश की शासन-व्यवस्था उसके हाथों में सौंप दी। सूझबूझ के धनी वर्तमान प्रधानमंत्री ने आम लोगों को अपनी ईमानदार कार्यपद्धति से समझाने में सफलता पायी कि भारत अपने बल पर विकास कर दूसरे देशों से आगे निकल सकता है और विश्व के प्रमुख उन्नत देशों में गौरवपूर्ण स्थान भी हासिल कर सकता है। भारत ने सबका विकास, सबका साथ और सबका विश्वास, को आधार बनाकर आत्मनिर्भरता की राह पकड़ लिया है। वह दिन दूर नहीं है जब भारत भी आर्थिक दृष्टि से मजबूत विश्व के अग्रणी देशों के साथ बराबरी में होगा। 

राजनीति देश और समाज को एक आयाम देती है। जब अच्छी राजनीति होती है तब वह विकास लाती है और जब बुरी राजनीति होती है तब वह बुरे समाज का निर्माण कर विनाश लाती है। व्यक्तिगत हित के लिये की गयी राजनीति हमेशा समाज के लिये हानिकारक होती है क्योंकि इस दशा में शक्ति कुछ के पास संचित होकर रह जाती है।

शक्ति और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक होते हैं। इनमें जब तक अलगाव रहता है तभी तक विकास होता है। जब हम किसी राजनेता की जीवनी पढ़ते हैं, तब हमें उस राजनेता के भ्रष्टाचार के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है और उससे प्रेरणा पाने की बातें कम मिलती हैं। हम आसानी से इस आश्चर्य को समझ पाते हैं कि दिन-रात जनता की सेवा करके राजनेता इतने अमीर कैसे बन जाते हैं?

विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे हैं। उनकी दशकों पूर्व कही बातें आज सच मालूम पड़ रही हैं कि राजनीति एक गंभीर व्यवसाय है और राजनीतिज्ञ लोग वहां पुल बनाने की बातें करते हैं, जहां नदी ही नहीं होती है। आज जरूरत है कि जनता ऐसे राजनेताओं को नकार दे जो सत्ता पाते ही गंदी भाषा और मर्यादाहीन आचरण के बल पर खुद के लिए धन की उगाही करते हैं और खुद का विकास करते हैं।

ज्ञान विज्ञान सरिता परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह सभी राजनेताओं को सद्बुद्धि दे कि वे केवल देशहित का काम करें और आम जन के आदर्श बनें।

 

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