पोरसा एक गॉव - प्रगति के पथ पर…
प्रेरणास्पद संस्मरण
कुसुम लता गुप्ता
आज मैं अपने पापा स्वर्गीय श्री कृष्ण मुरारी जी का हृदय की गहराइयों से धन्यवाद करती हूं जिनके कारण हम अम्बाह की लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकीं। अम्बाह गाँव, मेरे ससुराल पोरसा गाँव से लगा हुआ है।
अम्बाह गाँव में पहले केवल कक्षा 8 तक ही लड़कियों का स्कूल था। अम्बाह किले पर 1 लड़कों का हाईस्कूल था जिसमें मेरे पापा अध्यापक थे मेरी तीन चचेरी बहनों ने कक्षा 8 पास कर लिया था । उनको आगे पढ़ने से मना कर दिया । जैसा कि गांव में चलन था ,पर पापा ने कहा “नहीं बेटियां घर पर नहीं बैठेंगीं, आगे पढेंगीं।“ घर पर काफी विरोध के बाद उन्होंने तीनों बहनों का एडमिशन लड़कों के स्कूल में अपने संरक्षण में करवाया ।धीरे धीरे कुछ और छात्राएं भी आई।
मेरी एक चचेरी बहन उर्मिला गुप्ता अम्बाह कॉलेज की पहली छात्रा थीं, उन्होंने दो विषयों में एम.ए. अम्बाह कॉलेज से ही किया।
1969 जून में मेरे पापा श्री कृष्ण मुरारी जी बीमार हो गए कई कई महीनों तक उन्हें विदाउट पे अवकाश लेना पड़ता था, पर उन्होंने हमारी शिक्षा को नहीं रोका ।
तो ऐसे थे श्री कृष्ण मुरारी जी एक सच्चे समाज सुधारक वह महिलाओं की जागरूकता एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देते थे। वे कई सुखद एवं प्रेरणास्पद संस्मरण हमारे साथ छोड़ गये हैं । हम सभी भाई बहनों का सतत प्रयास रहता है कि हम उनके पदचिन्हों पर चलकर किसी हताश और बेसहारे के अंदर आशा की उमंग पैदा कर सकें .....
पोरसा में किये जा रहे अन्य प्रयासों की जानकारी के लिए पढ़ें : पोरसा पोरसा एक गॉव : प्रगति के पथ पर...
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