नानी के घर खुशियां छाई

उर्मिला द्विवेदी

 

(यह एक बाल कविता है। मई का महीना बच्चों के लिये बहुत महत्व का महीना होता है। इस समय सभी बच्चों के विद्यालय बंद रहते हैं। कुछ बच्चे ननिहाल तो कुछ बच्चे अपने अन्य संबंधियों के यहां घूमने जाया करते हैं। वहां  विभिन्न प्रकार की नयी - नयी चीजों से उनकी पहचान होती है इन्हीं बातों को कहती कुछ पंक्तियां)

माह मई अति सुन्दर भाई

धमाचौकड़ी दिनभर छाई

बबुआ आया बिटिया आई

नानी के घर खुशियां छाई

 

बेल शरीफा अमिया आई

खरबूजा ककड़ी भी आई

गन्ना बडहड़ इमली आई

नानी के घर खुशियां छाई

 

हो हल्ला घर में है छाई

शहतूत बेर अंजीर है आई

आलू बुखारा लीची आई

नानी के घर खुशियां छाई

 

कोयल ने है कूक सुनाई

फूलों ने खुशबू बिखराई

भौरों ने जब नाच दिखाई

नानी के घर खुशियां छाई

 

नानी की पकवान मिठाई

दिनभर  होती खूब खवाई

दोस्त बढ़े और मस्ती आई

नानी के घर खुशियां छाई

 

सुबह उठाता है ना कोई

होमवर्क  ना  चिंता कोई

मम्मी की भी डांट ना कोई

नानी के घर खुशियां छाई

 

पेड़ों पर जब चिड़ियां आई

स्कूलबंद छुट्टियां बताईं

स्टोरी बुक नाना ने लाई

नानी के घर खुशियां छाई

 

मास्क पहनता है हर कोई

भीड़ भाड़ में जाये न कोई

हाथ धोयें और दूरी बनाई

नानी के घर खुशियां छाई


 

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