आचरण और अनुभव

विशाल सरीन 

हमारे बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि जो किस्मत में होगा वह आपके पास आएगा। चाहे कुछ देर से, पर जो मुकद्दर में है, वह मिलेगा। अपनी तरफ से मेहनत करते रहिए क्योंकि God helps those who helps themselves। नहीं तो मुकद्दर की बात करने पर कभी-कभी ऐसे भी सुनने को मिलता है कि बैठे रहो आज, अगर किस्मत में रोटी होगी तो पेट में चली जाएगी।

जब अंकुर की नौकरी लगी तो उसको 2000 तनख्वाह तय हुई। अभी नौकरी शुरू नहीं हुई, तनख्वाह भी नहीं मिली परन्तु प्लानिंग पहले ही शुरू हो गई। दिमागी कशमकश ने सोचना शुरू कर दिया कि किसके लिए क्या-क्या लिया जाएगा। बहन के लिए कढ़ाई वाला सूट, भाई के लिए स्कूल बैग, मां-बाप के लिए नए कपड़े और दादा दादी के लिए नया चश्मा। ऐसी सोच, जिसमें समर्पण हो, हमेशा फलीभूत होती है।

कई बार मां-बाप आटा, चावल अथवा किसी और खाद्य पदार्थ को बच्चों का हाथ लगवा कर दान करने के लिए बोलते हैं। इसके पीछे भी गहरी सोच है जैसे बच्चों में दान और मिल बांटने की प्रवृत्ति पैदा होती है।

एक बार की बात है, एक बाबा को बहुत भूख लगी, उनके साथ एक छोटा बच्चा भी था। उन्होंने कुछ खाने को मांगने के लिए किसी के घर का दरवाजा खटखटाया। इतने में एक छोटी बच्ची ने अन्दर से दरवाजा खोला।

बाबा: बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को मिलेगा क्या?

बच्ची: बड़े भोलेपन से, घर में तो अभी खाने को कुछ भी नहीं है।

बाबा: घर में किसी से पूछो, शायद कुछ मिल जाए।

बच्ची: नहीं अभी कुछ नहीं है, अगर आप कुछ घंटों रुको तो खाना बनेगा फिर आपको भी दे देंगे।

बाबा: अच्छा कोई बात नहीं, चलो अपने घर की थोड़ी मिट्टी ही दे दो।

बच्ची ने अपने छोटे छोटे हाथों से थोड़ी मिट्टी उठाई और बाबा को दे दी। बाबा ने मिट्टी ली और आगे चल दिए। थोड़ा दूर चलने पर छोटे बच्चे ने बाबा से पूछा की इस मिट्टी का क्या करोगे। बाबा ने बोला कि अगर हम ऐसे ही चले आते तो उस बच्ची को पता नहीं लगता की दान कैसे करते है। चाहे मिट्टी ही सही, इससे उस बच्ची को देने की आदत पड़ेगी। 

जिंदगी एक ऐसा अनुभव है जिस पर जितना कहा जाए, उतना कम होगा। क्योंकि दुनिया में बहुत सारे लोग हैं और हर इंसान का ज़िन्दगी जीने का अपना अनुभव है। हर किसी के अनुभव को शब्दों में पिरोना कठिन है।

जिंदगी में हर इंसान के साथ बहुत कुछ होता है और इनमें कुछ ऐसे पल होते हैं जो जीने का आधार बनते हैं। जरूरी नहीं कि जिसने आपकी जिंदगी को आधार दिया है, आप उन सब से मिले हैं। उनकी दी हुई शिक्षा, याद अथवा मोटिवेशन ने आपको समुंदर के एक किनारे से दूसरे छोर पर पहुंचा दिया है। अपना कर्म करते हुए परमात्मा की रज़ा में आगे बढ़ते रहना चाहिए। उस परम शक्ति ने कहां कौन सी डोर बांध रखी है, उसको समझने के लिए अपने जीवन की डोर उस पर छोड़ देनी चाहिए।

 

—00—

< Contents                                                                                                                   Next >