जीते जी प्यार करो..
सुभाष चौरसिया 'हेम बाबू'
जीते जी प्यार करो, सत्कार करो, सहस्त्र बार यहीं
मर जाने पर गम करने का, तुमको कोई अधिकार नहीं
जीवन का तो मर्म यही है, मिलजुल कर हम साथ रहें
एहसास करें हम उनकें दर्द का, गम पी लें जो आह भरे
प्रेम सत्य है शास्वत है, इसका तो कोई पारावार नहीं
जीते जी प्यार--------
माना कि राहें दुर्गम हैं, कंटक हैं बेशुमार यहाँ
इक बीने कांटो को मग के, दूजा छिड़के प्यार यहां
धूप छाँव सा जीवन ये , बेपार करो तुम प्यार यहीं
जीते जी प्यार ----------
खिलते हैं महकते फूल वहीं, जहाँ मधुरस से सींचा जाता है
चढ़ जाता है शिखर वही, जहाँ अपनेपन से खींचा जाता है
दुलार करो और प्यार करो, डांटो पर दुत्कार नहीं
जीते जी प्यार -----------
रह जायेगा पछतावा शेष, मन की बोझिल यादों मे
नभ के तारे सिर्फ होंगे संग तेरे, वीरानी सूनी रातों में
जनम जनम का वादा है, मिलन करेंगे सहस्त्र बार यहीँ
जीते जी प्यार करो, सत्कार करो, सहस्त्र बार यहीं