ओलंपिक के आगे का पुरस्कार
मुकेश आनंद
मानव जीवन में सोच और भावनाओं का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। अध्यात्म में शरीर को अधम और जीवों के प्रति दया को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। कई बार हम लोगों को लगता है कि एक छोटे से कदम का क्या प्रभाव पड़ेगा और इस तरह हम उन छोटे-छोटे कदमों को उठाने से परहेज करते हैं और मौका चूक जाते हैं। अपनी ही परिक्रमा करते रहते हुए हम यह भूल जाते हैं कि हम सब उस विराट मानवता के अंग हैं और अगर हम सब मिलकर किसी भी कार्य को करें, तो असंभव भी संभव हो सकता है। एक व्यक्ति की ऊंची सोच कई अन्य लोगों को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
ऐसा ही एक उदाहरण अभी हाल में देखने में आया है जब एक खिलाड़ी ने मानवीयता की उच्चतम भावना का परिचय दिया। वैसे तो ओलंपिक में मेडल जीतना हर एथलीट का सपना होता है और वह एथलीट चाहता है ये मेडल जिंदगी भर अपने पास रखे। लेकिन अगर बहुत जरूरी हो तो इस मेडल को भी दांव पर लगाया जा सकता है। अभी खत्म हुए टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पोलैंड की खिलाड़ी मारिया आंद्रेजेक ने इस संबंध में एक अनोखी मिसाल पेश की है।
वह ऐसे कि घर वापस लौटने के बाद मारिया को पता चला कि एक नवजात है जिसे गंभीर दिल की बीमारी है। इस बालक का नाम मिवाॅश्क है और इसकी उम्र 8 माह की है। जल्द सर्जरी की जरूरत थी लेकिन इस सर्जरी पर 3.85 लाख डॉलर, यानी कि करीब 3:30 करोड़ रुपए खर्च होना है। इसकी जानकारी मिलते ही कि बीमार बच्चे के उसके परिजन एक ऑनलाइन कैंपेन चला रहे हैं जिसमें यह राशि जुटाना का प्रयास किया जा रहा है, मारिया ने बच्चे के लिए कुछ करने का निर्णय किया और अपने फेसबुक पेज पर इस कदम के बारे में लिखा कि वह अपना सिल्वर मेडल नीलाम करना चाहती है, जिस से मिलने वाली रकम बीमार बच्चे को दे दिया जाए।
इस कदम को देखते हुए मारिया के सिल्वर मेडल पर बहुत सारे बोलियां लगी और अंततः उनका मेडल 1.25 लाख डॉलर में बिका। यह अद्भुत घटना है जिसमें मानवता के प्रति मारिया का समर्पण झलकता है।
लेकिन इसके साथ ही एक और अभूतपूर्व घटना हुई।
मारिया का मेडल पौलैंड की सुपर मार्केट चेन जब्का पोल्सका ने खरीदी थी। खरीदने के बाद सुपर मार्केट चेन जब्का पोल्सका ने निर्णय लिया कि मेडल मारिया को वापस लौटा दिया जाए और नीलामी में दी गई रकम बीमार बच्चे के लिए दान करने का फैसला किया गया।
यह एक ऐसी घटना है जिसमें शारीरिक शक्ति और व्यक्तिगत लाभ के बजाय मानसिक शक्ति और मानवता के लिए काम करने की भावना की विजय हुई। मारिया का यह कदम उसके ओलंपिक मेडल या किसी के ओलंपिक में मेडल जीतने से बड़ी उपलब्धि है। और इस घटना को एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए।
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