सम्पादकीय

गुरु  के  प्रति  समर्पण  ज्ञान  को  प्रखर  बनाता  है

 

ज्ञान

 और गुरू एक दूसरे के अंदर समाहित रहते हैं। गुरू हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। अज्ञान का मिट जाना ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाना होता है। गुरू सिखाता है कि जो सूरज देखते चलते हैं, उन्हें परछाईं नहीं दिखायी देती है और जो परछाईं देखते चलते हैं, उनकी राह में शाम जल्दी हो जाती है। अगर कोई आपकी सफलता पर निःस्वार्थभाव से प्रसन्न हो और वह आपके माता-पिता व परिवार से अलग का हो तो मान लेना चाहिये कि वह आपका गुरू ही है।

 

ज्ञानविज्ञानसरिता उन गुरूजनों का समागम-स्थल है जो सामाजिक सेवा के साथ विद्यार्थियों को उनकी जरूरत की सीख देते हैं और उनको अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

 

2 अक्टूबर 2016 को ज्ञानविज्ञानसरिता की यात्रा शुरू हुयी थी। आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं तब मालूम पड़ता है कि यह यात्रा अत्यंत सुखद और शिक्षाप्रद रही है। हमने एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा है। हमने बहुत कुछ वह सीखा है जो बिना साथ चले सीखा ही नहीं जा सकता था। हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि हमारी बहुत-सी कमियां अच्छे लोगों का साथ होने के कारण स्वतः खत्म हो गयी हैं।

 

ज्ञानविज्ञानसरिता ई-पत्रिका के सातवें वर्ष की शुरूआत का पहला अंक बुद्धिजीवी पाठकों, मेहनती विद्यार्थियों और सेवाभावी शिक्षकों को समर्पित करते हुये हमें अत्यंत खुशी हो रही है। हमें विश्वास है कि इस अंक की रचनाओं में हमारे विद्यार्थियों की सृजनशीलता अवश्य दीखेगी।   

 

ज्ञानविज्ञानसरिता का ध्येय है कि हम अव्वल बनें। हम जो भी क्षेत्र चुनें, उसमें प्रखर हों, प्रमुख हों और प्रबुद्ध हों। पर ऐसा तभी होगा जब हम अपने कामों में अपना दिल और दिमाग रचा-बसा देंगे और अपनी सभी ऊर्जा उसमें केंद्रित कर देंगे।

 

अक्टूबर का महीना अत्यंत महत्वपूर्ण महीना है। भारत के स्वाधीनता-संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती इसी महीने की दूसरी तारीख को है। उनका जन्म गुजरात के काठियावाड़ में 2 अक्टूबर 1869 ईसवी सन् में हुआ था। अपनी मेहनत और सादगी के बल पर उन्होंने ताकतवर अंग्रेजी साम्राज्य से लोहा लिया था। इसी महीने के अंत में 31 अक्टूबर को भारतवर्ष, एकता दिवस मनाता है। यह दिन सरदार बल्लभभाई पटेल की जयंती का दिन होता है। सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नादियाड़, गुजरात में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता की प्राप्ति के समय भारत में बिखरे राजघरानों को भारत में मिलाकर एक संघ बनाने में बहुत दूरदर्शिता और मजबूत इच्छाशक्ति की झलक दिखायी थी। सरदार बल्लभभाई पटेल को लौहपुरूष भी कहा जाता है।

 

Double Brace: जिसने विनम्र होना सीख लिया, उसमें सभी अच्छे गुण स्वतः ही आ जाते हैं

हम विद्यार्थियों को एक सबक देना चाहेंगे कि उन्हें कम बोलना चाहिये, अधिक से अधिक पढ़ना चाहिये, ज्यादा से ज्यादा लिखना चाहिये और खुलकर अपने अध्यापक से, अपनी शंका मिटाने के लिये, प्रश्न पूछने चाहिये। उनके प्रश्नों की बौछार तबतक चलनी चाहिये जबतक विषय पूरी तरह से समझ में न आ जाये और हाथ की लेखनी तबतक रूकनी नहीं चाहिये जबतक प्रश्नों के हल को हाथ याद न कर ले।

 

समाज बहुत तरह के लोगों से भरा होता है। हमें अवसर के अनुकूल चलते हुये अपनी मंजिल पर विनम्र रहते हुये पहुंचना है। अगर हम विद्यार्थी हैं तो हमें पढ़ते-सीखते समय विनम्र रहना है। अपने शिक्षकों व अभिभावकों से बातचीत में विनम्र रहना है। अगर हम शिक्षक हैं तो हमें हर हाल में अपने विद्यार्थियों के प्रति विनम्र रहना है, चाहें उन्हें समझाते समय कितनी ही बार उनको एक ही बात क्यों न बतानी पड़े। जिसने विनम्र होना सीख लिया, उसमें सभी अच्छे गुण स्वतः ही आ जाते हैं।

 

किसी ने ठीक ही कहा हैः

आंधियां हसरत से, अपना सर पटकती रह गयीं

बच  गये  वो  पेड़,  जिनमें   हुनर  झुकने का था

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