सबकी अपनी-अपनी पहचान
डॉ. संगीता पाहूजा
न कर खुदा की रचना पर शक ए बंदे
प्रत्येक सजीव, निर्जीव के होने का मकसद है बंदे|
कण कण में है ईश्वर का वास
किसी को व्यर्थ न समझ ए बंदे
कुछ भी नहीं अर्थहीन इस धरा पर
सबकी अपनी अपनी पहचान धरा पर|
सबकी अपनी-अपनी पहचान, इस सत्य को समझ ए बंदे |
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