>ऑनलाइन शिक्षा Vs. ऑफ़लाइन शिक्षा : सार्थक प्रयास

उमेश चन्द्र पन्त

(अध्यक्ष)

 शिक्षा लोगो के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करना हर देश के नागरिक का अधिकार है। शिक्षित व्यक्ति अच्छी शिक्षा के बलबूते पर अपने करियर का निर्माण करता है। शिक्षण और अन्य महान आविष्कारों में प्रगति के कारण 1950 की तुलना में शिक्षा आज बहुत विविध है। आजकल वर्तमान जीवन में ऑनलाइन शिक्षा का बोलबाला है।

ऑनलाइन शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जहाँ शिक्षक दूर से और दुनिया के किसी भी कोने से इंटरनेट के माध्यम से जुड़ सकता है।इस में शिक्षक और विद्यार्थी अपने सहूलियत के अनुसार वक़्त का चुनाव कर ऑनलाइन जुड़ जाते है। शिक्षक स्काइप ,ज़ूम इत्यादि एप्प के ज़रिये वीडियो कॉल करते  है और बच्चे लैपटॉप ,कंप्यूटर या मोबाइल पर शिक्षक को देख और सुन सकते है। शिक्षक बच्चो को पढ़ाने के लिए अपने कंप्यूटर की स्क्रीन शेयर करते है जिससे बच्चे घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर पाते है।

सार्थक प्रयास ने 2015 ही अपने समर्थ कार्यक्रम के चलते बच्चों की आनलाइन क्लास लेनी शुरू कर दी थी, जिसका बच्चो ने बखूबी लाभ उठाया और उनमें से रोहित के रूप में एक छात्र आज इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में   आज जहाँ सारा विश्व महामारी कोविड 19  के तहत काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उसमे सर्वप्रथम  है बच्चो की शिक्षा। ऑनलाइन यानी दूरस्थ शिक्षा ने लॉकडाउन में चल रही इस मुश्किल को आसान कर दिया है।  लॉकडाउन के इस वक़्त जहाँ सभी शिक्षा केंद्र बंद है।  वहां ऑनलाइन शिक्षा ने अपनी जगह बना ली है। आज दुनिया के सारे देशो के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग करके आसानी से पढ़ाई कर पा रहे है। ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने के लिए अच्छी और तीव्र गति की इंटरनेट कनेक्टिविटी की ज़रूरत है। शिक्षक दूरस्थ शिक्षा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, डीवीडी और इंटरनेट के पाठ्यक्रमों के अनुसार बच्चो को पढ़ाते है। 1993 में ऑनलाइन शिक्षा कानूनी कर दी गयी और यह एक अनोखा तरीका है जिसके माध्यम से  सभी उम्र के छात्र पढ़ सकते है। इंटरनेट की सहजता के कारण वर्षो से ऑनलाइन शिक्षा लोकप्रिय हो रही है।

आज की वर्तमान स्थिति में बच्चे स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे है ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा ने रास्ता काफी आसान कर दिया है। बच्चे निश्चिंत होकर घर पर अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रहे है। कुछ बच्चे दूर शिक्षकों के घर या कोचिंग संगठनों में जाकर पढ़ाई नहीं कर पाते है। वह ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी करते है और परीक्षा देकर ऑनलाइन डिग्री हासिल कर लेते है। आजकल ज़्यादातर प्रोफेशनल कोर्सेज ऑनलाइन होती है। विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ते है और ऑनलाइन परीक्षा देकर अपनी निश्चित डिग्री प्राप्त कर लेते है।

ऑनलाइन शिक्षा से हम सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में दी जाने वाली ज़रूरी शिक्षा हासिल कर लेते है। इससे हमारा ज्ञान काफी विकसित होता है। ऑनलाइन शिक्षा की वजह से विद्यार्थियों को कहीं जाना नहीं पड़ता और इससे यात्रा के समय की बचत हो जाती है | अपने सुविधा अनुसार छात्र  वक़्त का चुनाव कर ऑनलाइन  क्लासेज  में शामिल  हो जाते है।

ऑनलाइन शिक्षा में विद्यार्थी शिक्षक द्वारा ली गयी क्लास को रिकॉर्ड कर सकते है। जिससे कक्षा के पश्चात विद्यार्थी रिकॉर्डिंग को पुनः सुन सकते है और कहीं शंका हो तो बेझिजक शिक्षक से दूसरे क्लास में पूछ सकते है | इससे संकल्पना यानी कांसेप्ट छात्रों को समझ जाता है। ऑनलाइन शिक्षा में किसी प्रकार की विषय संबंधित समस्या हो तो शिक्षक से ऑनलाइन पूछ सकते है। इसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है।

सिविल सेवा परीक्षा , इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी पढ़ाई शिक्षा संस्थानों में नहीं बल्कि ऑनलाइन हो रही है। यह कहना मुश्किल है कि कोरोना काल कब तक चलेगा और इसलिए  विद्यार्थीओ को समाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य है | इस परिस्थिति में  ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प है। आज कल तेज़ी से बढ़ती हुयी दुनिया के पास समय की कमी है और वेब के माध्यम से दी जाने वाली सभी सेवाएं लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।

क्योंकि यह सुविधाजनक होने के संग ,पैसे और समय बचाता है। कुछ बच्चे  जो ग्रामीण परिवार से जुड़े जहाँ ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन नहीं है। उनके पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा इत्यादि नहीं है। वह ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ है। इसी के चलते सार्थक प्रयास अभी तक अपने चौखुटिया के बच्चो को ऑनलाइन क्लास से नही जोड़ पाया है जिसके लिए किसी भगीरथी प्रयास ही करना पड़ेगा   ग्रामीण परिवार इंटरनेट का खर्चा नहीं उठा पाता है इसलिए लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में उन छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को दिलचस्प बनाने के लिए हर शिक्षक बेहतरीन टूल्स का इस्तेमाल करते है ताकि बच्चो को सीखने में आसानी हो।

परिणाम और दुस- परिणाम

ऑनलाइन शिक्षा उन लोगों के लिए बढ़िया विकल्प है जो काम करते हुए या घर की देखभाल करने के साथ अपनी पढ़ाई जारी रख पाते है। अपनी सुविधा अनुसार वह ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकते है। यह एक नयी प्रकार की शिक्षा है जो हर देश अपना रहा है। विद्यार्थिओं को ज़रूरत है कि वह मन लगाकर पढ़े और अपना और अपने देश का  भविष्य उज्जवल करे। जो बच्चे ऑनलाइन शिक्षा को पाने में असमर्थ है उनके लिए निशुल्क ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था करने की ज़रूरत है ताकि शिक्षा से कोई वंचित ना रहे।ऑनलाइन शिक्षा एक बढ़िया माध्यम है जहाँ छात्रों को अवश्य शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए।

ऑनलाइन शिक्षा के फायदे: शिक्षक के साथ अधिक नियमित संपर्क

जैसा कि हमारे ऑनलाइन छात्र स्काइप और गूगल क्लासरूम के माध्यम से अपने शिक्षक के संपर्क में आते है छात्र अक्सर अपने फ़ोन के मदद से शिक्षकों से हर समय संपर्क साध लेते है। संचार की प्रगति के कारण छात्रों को लाभ होता है क्योंकि शिक्षा केवल साप्ताहिक एक घंटे के सत्र की तुलना में निरंतर संवाद का अधिक हो सकता है। ऑनलाइन  के साथ अंतिम मिंटो के समय में परिवर्तन सकता है। शिक्षक जब चाहे  तब क्लास रख सकता है और स्थगित भी कर सकता है। इसमें यात्रा नहीं करनी पड़ती है और काफी समय बच जाता है।ऑनलाइन स्क्रीन शेयरिंग का उपयोग करके विषयो को समझना आसान हो गया है। ऑनलाइन शिक्षा एक उत्कृष्ट शिक्षा का उदहारण है। ऑनलाइन शिक्षा की सबसे अधिक आपको शिक्षण संबंधित विकल्प देता है। ऑनलाइन व्हाइटबोर्ड का उपयोग ,फाइल ,लिंक और वीडियो भेजने के कारण शिक्षक अपनी रचनात्मक शिक्षा को विद्यार्थियों तक पहुंचा सकता है। इसमें शिक्षक को विभिन्न प्रकार से बच्चों को पढ़ाने का भरपूर मौका मिलता है।  इंटरनेट का आसानी से उपलब्ध होना ऑनलाइन शिक्षा के लिए वरदान के रूप में साबित हुआ है। किसी भी वैश्विक स्थान और अजीब समय ऑनलाइन  पर पाठ पढ़ाया जा सकता है। आपको सिर्फ केवल एक उपकरण जैसे कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन की ज़रूरत होती है।

 ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान: शिक्षक से  सीमित  संपर्क

ऑनलाइन शिक्षा बच्चो को ऑफलाइन शिक्षा के मुकाबले कम समय के लिए शिक्षा प्रदान करता है। सिर्फ एक तरफा अध्यापक बच्चो को पढ़ा सकते है ,उसमे बच्चा ज़्यादा समय के लिए  क्लासवर्क नहीं कर पाता है। ऑफलाइन शिक्षक बच्चे को नैतिक शिक्षा प्रदान करते है जब कि ऑनलाइन शिक्षण में ऐसा नहीं हो पाता है। ऑनलाइन शिक्षा को अच्छे नेटवर्क की आवश्यकता होती है। जहाँ नेटवर्क नहीं है वहां ऑनलाइन शिक्षा कराना मुश्किल है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग  के पास  तीव्र गति वाले इंटरनेट की सुविधा नहीं होती है। इसलिए वहां ऑनलाइन शिक्षा अभी भी वहां उपलब्ध नहीं है। जब पहले बच्चे निजी ट्यूटर के पास पढ़ते थे तब बच्चा एक अध्ययन सूची के मुताबिक ,निश्चित अवधि के लिए पुस्तकों के साथ  पढ़ने बैठता था। यह वर्षो तक चली रही परंपरा है। ऑनलाइन शिक्षा एक तहत ऐसी कोई विशेष शिक्षा सूची तैयार नहीं हुई है। बच्चे स्कूल में जितने अनुशासित रह सकते है। ऑनलाइन क्लासेज में इतने गंभीर नहीं होते है।

ठीक से छात्रों को ना समझ पाना -

समान्यतः एक शिक्षक कक्षा में आपको सीधे तरीके से समझ सकता है। कक्षा में आपकी बोल चाल और आपकी प्रतिक्रिया देखकर समझ सकता है कि आप विषय को कितना समझ पा रहे है। आपकी बॉडी लैंग्वेज को पढ़ सकता है और उसके आधार पर आपको समझा सकता है। दूसरी ओर ऑनलाइन शिक्षा में प्रत्यक्ष रूप से आमने सामने बात करने का मौका नहीं मिलता है। छात्रों को समझने और प्रगति की निगरानी ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा कठिन होता है। ऑनलाइन शिक्षा में छात्रों का दल नज़र नहीं आता है। अगर किसी छात्र के साथ बाकी के छात्र भी उसके साथ पढ़ते है। अगर एक साथ पढ़ते तो और ज़्यादा पढ़ाई में रुचि उत्पन्न करता है हमने अक्सर देखा है कि छात्र जब समूह में पढ़ते है तो वह अधिक सतर्क होते है। बच्चे अपनी काबिलियत साबित करने के लिए ज़्यादा मेहनत करते है और प्रतिस्पर्धा का माहौल रहता है। यह माहौल ऑनलाइन शिक्षा में नहीं मिल पाता है व्यवहारिक अनुभव को शिक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया जाता है। ऑनलाइन शिक्षा में ज़्यादातर व्यवहारिक अनुभव का अभाव है। ऑनलाइन शिक्षा में एनिमेटेड वीडियो और अभ्यास वीडियोस का उपयोग किया जाता है। जबकि स्कूल में शिक्षक भौतिक वस्तुओं का उपयोग करके छात्रों को पढ़ाते  है। यह व्यवहारिक  स्पर्श ,गहरी समझ अध्ययन में विशेष रूचि उतपन्न करता है। ऑनलाइन शिक्षा में व्यवहारिक ज्ञान की अनुपस्थिति होती है।

मानव एक समाजिक प्राणी है और ऑनलाइन शिक्षा की तुलना में छात्र स्वाभाविक  सीधे शिक्षा में अधिक रुचि रखता है। कभी कभी बच्चे ऑनलाइन  शिक्षा में उत्साह नहीं ले पाते है। स्कूलों और कॉलेजों में टोप्पेर्स और अन्य छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए  प्रतियोगिता करवाए जाते है जिसके लिए उन्हें पुरस्कार दिए जाते है और उत्साह बनी रहती है। ऑनलाइन शिक्षा में इन चीज़ो की कमी होती है।

आत्म मूल्यांकन की कमी - स्कूलों में बच्चो की योग्यता को जानने के लिए परीक्षाएं और होमवर्क इत्यादि दी जाती है। जिससे शिक्षक जान सकते है कि बच्चे कहाँ पिछड़ गए और कितना जान पाए। बच्चे भी आपने आपको इसके द्वारा भली भाँती परख सकते है। ऑनलाइन शिक्षा में आत्म मूल्यांकन की कमी नज़र आती है। ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे पुस्तक पढ़ते है  जब कि स्कूलों में विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की पुस्तकों से रूबरू होते है। स्कूल में छात्र हमेशा अनुशासन का पालन करते है और एक निर्धारित समय अपना कक्षा कार्य और गृह कार्य पूरा करते है। लेकिन ऑनलाइन शिक्षा में निश्चित अनुशासन का पालन नहीं किया जाता है।

निष्कर्ष:  ऑनलाइन शिक्षा के सभी तरह के पहलु है। लेकिन यह कहना गलत होगा कि लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा ने बच्चो ,शिक्षको और शिक्षा संगठनों की काफी मदद की है और शिक्षा के आदान प्रदान को रुकने नहीं दिया। प्रौद्योगिकी ने इतनी उन्नति कर ली है कि हम घर से और दुनिया के किसी भी  कोने में बैठकर इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकते है।

More information on the initiative is available in its Introduction in our Web-Bulletin dt January 01,2021.

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