खुशी तितली जैसी है
उर्मिला द्विवेदी
(खुशी, शिक्षा, जीवन और आशा हमारे एहसास हैं। ये सब प्रकृति की देन हैं। यह हमारी सोच पर निर्भर रहता है कि हम इन्हें कैसे अनुभव करते हैं और इनसे कैसे सीखते हैं? इन्हीं एहसासों को याद करती कुछ पंक्तियां )
(1)
खुशी, तितली जैसी है
पकड़ो, तो उड़ जाती है
बैठो, तो आ जाती है
भागो, तो संग रहती है।
(2)
शिक्षा, किरण जैसी है
समझो, तो रंग बिरंगी है
भूलो, तो बेढंगी है
सीखो, तो सतरंगी है।
(3)
जीवन, पानी जैसा है
जिओ, तो बहुरंगा है
रोओ, तो बदरंगा है
हंसो, तो मन चंगा है।
(4)
आशा, खुशबू जैसी है
चाहो, तो साथ आती है
छोड़ो, तो दूर जाती है
सोचो, तो भा जाती है।
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