भौकाल न युद्ध जीतता है
और न ही युद्ध जिताता है।
भौकाल कमजोर को केवल डराता-भर है।
भौकालबाजी वह गुण है
जो एक झूठा रूतबा दिखाने के लिये
एक लबादे के रूप में अपने
ऊपर लादा जाता है।
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संपादकीय
भारत को डराने के लिये चीन की भौकालबाजी |
21 |
वीं
शताब्दी का भारत नया भारत है। नया भारत निर्णय लेने वाला भारत है। आज का भारत गौरवपूर्ण कार्यों को करने वाला भारत है। आज का भारत अपनी रक्षा के लिये सीना तानकर खड़ा रहने वाला भारत है। यह वह भारत है जिसका नागरिक दुनिया के चाहें जिस हिस्से में हो, अपने को हिंदुस्तानी कहने में गर्व का अनुभव करता है।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारत जो कुछ करता है, वह अपने देश के 130 करोड़ देशवासियों के हित को ध्यान में रखकर करता है। भारत अपनी जमीन के चप्पे-चप्पे को चाहें वह कितनी ऊँची चोटी ही क्यों न हो, बचाये रखने से चूकता नहीं है।
भौकाल न युद्ध जीतता है
और न ही युद्ध जिताता है।
भौकाल कमजोर को केवल डराता-भर है।
भौकालबाजी वह गुण है
जो एक झूठा रूतबा दिखाने के लिये
एक लबादे के रूप में अपने
ऊपर लादा जाता है।
भारत के वीर जवानों को अच्छी तरह से मालूम है कि उनके पास विश्व की सर्वोत्तम हवाई, समुद्री और थल सेना है। विश्व का कोई देश नहीं है जहां पर जाकर भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति-स्थापना के प्रयास को अपनी बहादुरी और दमखम से सफल नहीं किया है।
भारतीय सेना के वीर सैनिक जहां शांति-स्थापना के लिये जाते हैं, अपने मानवीय और साहसिक कार्यों के लिये वहां सम्मानित किये जाते हैं। उनकी बहादुरी की तो प्रशंसा होती ही है, साथ ही साथ उनके सामान्य मानवीय संवेदनाओं की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की जाती है।
भारत के पास विश्व के किसी भी देश से लड़ने के लिये अत्यंत आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हैं। वैसे भी, युद्ध में हथियार कम इस्तेमाल होते हैं। आजकल के युद्ध में ज्यादा इस्तेमाल होते हैं-विभिन्न प्रकार के सोसल मीडिया जैसे हथकंडे, आर्थिक प्रभाव डालने वाली वैश्विक नीतियां, दूसरे देशों के साथ मजबूत मैत्रीपूर्ण रक्षा-गठबंधन, अपने देश की मजबूत नेतृत्व-क्षमता और पूरे देश की जनता की अपने सैनिकों के पीछे खड़े रहने की भावनात्मक शक्ति।
भारत के वीर जवानों को अच्छी तरह से मालूम है कि उनके पास विश्व की सर्वोत्तम हवाई, समुद्री और थल सेना है। विश्व का कोई देश नहीं है जहां पर जाकर भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति-स्थापना के प्रयास को अपनी बहादुरी और दमखम से सफल नहीं किया है।
भारतीय सेना के वीर सैनिक जहां शांति-स्थापना के लिये जाते हैं, अपने मानवीय और साहसिक कार्यों के लिये वहां सम्मानित किये जाते हैं। उनकी बहादुरी की तो प्रशंसा होती ही है, साथ ही साथ उनके सामान्य मानवीय संवेदनाओं की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की जाती है।
भारत के पास विश्व के किसी भी देश से लड़ने के लिये अत्यंत आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हैं। वैसे भी, युद्ध में हथियार कम इस्तेमाल होते हैं। आजकल के युद्ध में ज्यादा इस्तेमाल होते हैं-विभिन्न प्रकार के सोसल मीडिया जैसे हथकंडे, आर्थिक प्रभाव डालने वाली वैश्विक नीतियां, दूसरे देशों के साथ मजबूत मैत्रीपूर्ण रक्षा-गठबंधन, अपने देश की मजबूत नेतृत्व-क्षमता और पूरे देश की जनता की अपने सैनिकों के पीछे खड़े रहने की भावनात्मक शक्ति।
जिस प्रकार दर्पण झूठ नहीं बोलने देता है, ज्ञान भयभीत नहीं होने देता है, प्रेम किसी से ईर्ष्या नहीं करने देता है, विश्वास कमजोर नहीं होने देता है, ठीक उसी प्रकार हमारे देश के वीर सैनिक की अपने दुश्मन को नेस्त-नाबूद करके देश पर कुर्बान हो जाने तक की दृढ़ भावना, उसे किसी युद्ध को हारने नहीं देती है।
भारत के देशभक्त सैनिक को मालूम है कि उसके बाद, उसके परिवार, और उसके बच्चों के लिये उसका पूरा देश हमेशा खड़ा रहेगा।
चीन झूठी कहानी गढ़ने के अलावा कुछ नहीं करता है। चीन की बहादुरी उसके सामान जैसी नकली है। इसीलिये चीन की डींग हांकने वाली बातें बनाने वाली आदतों को हम उसकी भौकालबाजी कहते हैं। आज के समझदार भारत को अच्छी तरह से मालूम है कि चीन की चालें भौकालबाजी के अलावा कुछ नहीं हैं।
ज्ञान विज्ञान सरिता परिवार दीपावली के पावन पर्व पर अपने पाठकों की सुख, शांति और संवर्धन की कामना करता है। हम भारत के वीर सैनिकों को ज्योतिपर्व दीपावली की शुभकामनाओं के साथ पंडित रामप्रसाद “विस्मिल” की निम्नलिखित पंक्तियों के साथ नमन करते हैं:
न चाहूं मान दुनिया में
न चाहूं स्वर्ग को जाना
मुझे वर दे यही माता
रहूं भारत पे दीवाना