चलो पढ़ायें घर-घर सबको

(दीपावली का जलता दिया कुछ कहने की कोशिश में है। इसी कोशिश को व्यक्त करती कुछ पंक्तियां)

उर्मिला द्विवेदी

तिल-तिल जलता दीपक कहता

चलो मिटायें घोर तिमिर को

पल-पल जगकर शिक्षक कहता

 चलो पढ़ायें घर-घर सबको

 

अंधकार ना घर में रखना

मैला मन ना अंदर रखना

सबकी सेवा करते जाना

होंठों पर मुस्कान सजाना


आस-पड़ोस को पास बुलाना

खुद भी पढ़ना उन्हें पढ़ाना

खुश रहकर सबको बतलाना

शिक्षा-दीप जलाते जाना


जगमग ज्योति बताती जाती

लक्ष्मी उसी जगह है टिकती

जहां सरस्वती पहले  आती

खुशी जहां हरपल है बसती


 

पर्व वही सबसे अच्छा है

सब मिल जिसमें खुशी मनायें

देश वही सबसे अच्छा है

आदर्श जहां शिक्षक बन जायें


काम वही सबसे अच्छा है

जिसमें सबका भला समाये 

मान वही सबसे अच्छा है 

जिससे देश-प्रेम बढ़ जाये


आज दिवाली सबसे कहती

दुश्मन से है बचकर रहना

हिंद की सेना देश से कहती

डटे हुये हम तुम ना डरना


दिया से है दिवाली सजती

श-भक्ति से सजता देश

शिक्षक से है शिक्षा बढ़ती

जन-प्रयास से बढ़ता देश

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