इंडिया गेट
भावना मिश्रा
इंडिया गेट दिल्ली में है। यह एक स्वतंत्र भारत स्मारक है। इसे पूर्व में किंग्सवे भी कहते थे। शुरुआत में इसका नाम "ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल" रखा गया था।नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित 42 मीटर ऊँचा और 9.1 मीटर चौड़ा है।इंडिया गेट का पूरा परिसर करीब 400 एकड़ में फैला है।अखिल भारतीय युद्ध स्मारक है। सर एडवर्ड लुटियन्स ने इसका डिजाइन किया था।इसे बनने में दस साल लगे।
पेरिस के आर्क डे ट्रिओम्फ ( Arc-de-Triomphe) से यह प्रेरित है,मैं वहाँ गयी हूँ,बहुत ही अच्छा लगा मुझे।
इंडिया गेट 12 फरवरी सन् 1931 में बनाया गया था।अंग्रेज शासक द्वारा 90000 भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद हुए थे,उन्ही के स्मृति में है। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिक और अघिकारियों सहित 13,300 सैनिक के नाम,गेट पर उत्कीर्ण है। लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक दिखने बहुत आकर्षक है । यहाँ आसपास के लॉन ,फव्वारे और राष्ट्रपति भवन के कारण इंडिया गेट कई लोगो के लिए पिकनिक स्थल बन गया है।इंडिया गेट पर भोजन और मौसम का आनंद लेते है।दिल्ली कोई आता है तो थोड़ा भी समय होता हैं,तो यहाँ घूमने अवश्य जाते है।
इंडिया गेट पर 1971 से लगातार "अमर जवान ज्योति" जल रही है।अमर ज्योति का निर्माण आजादी के बाद हुआ। 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम के समय भारतीय सेना का पाकिस्तान का युद्ध हुआ था।स्वतंत्र बंग्लादेश निर्माण में हजारो सैनिक ने अपनी जान थी।इंडो - पाकिस्तान युद्ध के बाद इंदिरा गाँधी ने अमर जवान ज्योति बनवाने मे आर्थिक सहायता की थी।आजादी से पहले इंडिया गेट के सामने सिर्फ किंग जाॅर्ज वी की प्रतिमा स्थापित थी,जिसे आजादी के बाद हटा दिया गया।
आजादी के बाद इंडिया गेट में कुछ संशोधन किया गया और संशोधन के कारण इंडिया गेट भारतीय सेना के सैनिक के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है,जिन्होने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपने जीवन को दान देकर शहीद हो गए।
इंडिया गेट शहीदो को समर्पित है।यह स्मारक नई दिल्ली में राजपथ मार्ग पर स्थित है,जो भारत की विरासत के रूप में है ।प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस ( 26 जनवरी) के दिन भारत के राष्ट्रपति और अन्य कई मुख्य राजनीतिक नेताओं और अन्य कई गणमान्य व्यक्तियो को इंडिया गेट के नीचे स्थित अमर जवान ज्योति पर उन शहीदों के समर्पण को याद किया जाता है।
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