लक्ष्य की प्राप्ति

पुरुषोत्तम विधानी

सबसे पहले तो हमारा लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए कि हम चाहते क्या हैं। लक्ष्य कितना भी बड़ा हो नियमितता और निरंतरता से हासिल किया जा सकता है।जब लक्ष्य बड़ा हो तो उसे छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर देना चाहिए। छोटे-छोटे लक्ष्य प्राप्त करते हुए हमारा आत्म विश्वास बढ़ता है और हम अपने बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।लक्ष्य प्राप्त करने की प्रबल इच्छा हमें वह आवश्यक उर्जा देती है जो तमाम विघ्न बाधाओं के बीच हमें लक्ष्य सिद्धि तक पहुंचा कर रहती है।उठते-बैठते, सोते-जागते हमेशा अपने लक्ष्य को याद रखें। लगे तो घर में जगह-जगह अपने लक्ष्य को लिखकर चिपका दें।अपने सगे संबंधियों मित्रों को अपने लक्ष्य से अवगत करा दें, इससे आपकी लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ जाएगी।

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए धीरज और साहस की ज़रूरत होती है, मार्ग में कई अवरोध आएंगे, उनसे घबराना नहीं है। विफलताएं भी आएंगी, उनसे सीखते हुए, उन्हें सफलता की सीढ़ी बनाते हुए आगे बढ़ते जाना है।आपकी मेहनत और लगन को देखकर, कई मदद करने वाले, मार्ग दर्शन करने वाले मिल जाएंगे। प्रारम्भ में हो सकता है हमें हमारे काम में रुचि हो पर धीरे धीरे उसमें रुचि पैदा हो जाती है और हम आगे बढ़ते जाते हैं।

मीराबाई का उदाहरण हमारे हम सबके सामने है। हाल में ही उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारोतोल्लन में रजत पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया है।जब वे अपने गृहनगर पहुंची तो उन्हें पदोन्नत कर एडिशनल एसपी बनाया गया और मणिपुर के मुख्यमंत्री स्वयं उन्हें उनके कार्यालय तक ले गए। उनकी जीवनी पढ़ने से हमें हमारे लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरणा मिलेगी।

मुश्किलें ही सिखाती हैं, सफलता का रास्ता

कामयाबी का मिलना इत्तफाक नहीं होता।

 

 

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