सम्पादकीय

सर्वजनहिताय बढ़ते कदम

 

विकास

 की डगर जानी पहचानी नहीं होती है। इसे खुद बनाना पड़ता है और सबसे पहले खुद ही इस पर चलना पड़ता है। यह जरूरी नहीं है कि हमारे विकास की डगर औरों के विकास के काम आये, पर यह निश्चित रहता है कि हमारी बनायी डगर हमारे काम अवश्य आयेगी क्योंकि हमारी डगर बनाने में हमारा आत्मबल, आत्मचिंतन और हमारी परिकल्पना को साकार करने का भाव छिपा होता है।

 

दूसरों के बनाये रास्ते पर चलने पर मंजिल दिखायी पड़ती है और अपने बनाये रास्ते पर चलने में मंजिल पर पहुंचने की खुशी दिखायी पड़ती है। अपने बनाये रास्ते पर हम सबसे पहले चल रहे होते हैं और दूसरों के बनाये रास्ते पर चलते वक्त हम किसी के पीछे चल रहे होते हैं। सच्चाई तो यह है कि अपने हाथों में लिये कामों को पूरा करने का मजा ही कुछ और होता है। ठीक यही बात ज्ञान विज्ञान सरिता परिवार की है। सभी अपनी बनायी डगर पर लगातार चल रहे हैं।

 

धीरे-धीरे चलते-चलते ज्ञान विज्ञान सरिता पत्रिका इस अंक के साथ अपने प्रकाशन के छह वर्ष पूरा कर रही है। इस दौरान पीडीएफ के रूप में शुरू हुयी ई-बुलेटिन, अब वर्तमान में वेब-बुलेटिन का रूप ले चुकी है। ज्ञान विज्ञान सरिता परिवार के साथ नये शिक्षकों का जुड़ाव बहुत ही सुखद रहा है। मन यही कहता है-चलो, समाज के हित को सोचने वाले, अपने मन माफिक कुछ और साथी तो मिले !

 

बीतते वर्ष में ब्रिगेडियर पी के हूगन और जनरल यश जैसे प्रतिभा-संपन्न मोटिवेटर्स का जुड़ना पाठकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के लिये बहुत अच्छा रहा है। इनके प्रेरणादायी विडियो, लेख व संदेश सबको प्रभावित करते हैं। इनसे यह सीख मिली है कि  पढ़ाई के साथ-साथ अन्य अभिरूचियों को सीखना हमेशा लाभप्रद रहता है।

 

सबसे अच्छी बात इस वर्ष की रही: ज्ञान विज्ञान सरिता पत्रिका में बच्चों का अपनी अभिरूचियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की कृतियां, जैसे-चित्र बनाना, कहानियां-कवितायें-लेख आदि में रूचि दिखाना। इन कृतियों को देखकर और पढ़कर ऐसा लगा कि उनके अंदर परिकल्पनाओं का उफनता सागर है।

 

सितंबर का वर्तमान महीना बहुत महत्वपूर्ण है। ठंड का मौसम दस्तक दे रहा है। पांच सितंबर को मनाया जाने वाला शिक्षक दिवस हमें सीख देता है कि सीखते समय हमें विनम्र रहना चाहिये। चौदह सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा को मजबूत करना है। पंद्रह सितंबर को मनाया जाने वाला अभियंता दिवस एम विश्वेसरैया का संदेश प्रसारित करता है कि अगर हम दृढ प्रतिज्ञ हों तो कुछ भी कर सकते हैं।

 

चलिए, हम सब मिलकर समाज को आगे बढ़ाने, लोगों में आपसी सौम्यता रखने, कठिनाई के समय में मदद के लिये खड़े होने और पर्यावरण-संरक्षण के लिये अपने चारों ओर के वातावरण को हरा-भरा बनाने के लिये सबको जागरूक करते हैं।

 

चलो परिंदों को रहने की, हरी भरी  जगह बनाते हैं

खुद को जिंदा रखने के लिये, एक दरख्त लगाते हैं

जय हिंद!

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